Thursday, June 26, 2025

उलझन सुलझे ना रस्ता सूझे ना

उलझन सुलझे ना रस्ता सूझे ना


एक पुराने हिन्दी फिल्म धुंध का एक गाना था - 

उलझन सुलझे ना, रस्ता सूझे ना.
जाऊं कहां मैं जाऊं कहां ?
मेरे दिल का अन्धेरा हुआ और घनेरा
कुछ समझ ना पाऊं क्या होना है मेरा.
खड़ी दोराहे पर, मैं पूछूं घबरा कर
जाऊं कहां मैं जाऊं कहां ?

आज के इस लेख का इस गाना से नाता बहुत सहज सा है. क्योंकि एक उलझन है जिसे मैं सुलझा नहीं पा रहा. क्या आप में से कोई है जो इस उलझन से निकलने का रास्ता सुझा सके ? 

बात शेयर बाजार से जुड़ी है. शेयर बाजार में बहुत तरह के लोग आते हैं - कुछ लोग निवेश (इन्वेस्टमेंंट) करने के लिये तो अधिकतर लोग वाणिकी (ट्रेडिंग) के लिए. पर बहुत कम लोग इस विषय पर खुल कर बात करते हैं. जैसे शराब के ठेके पर जाने वाले बहुतेरे लोग इसे स्वीकार नहीं करते कि वे शराब के ठेके पर जाते हैं. उसी तरह शेयर बाजार में हैं बहुत से लोग मगर इस पर बात करने में असहज हो जाते हैं. अपनी अक्ल और पराये का धन सबको ज्यादा लगता है. शेयर बाजार में काम करने वाले अधिकतर लोगों के साथ यही होता है कि वे अपने को सबसे अक्लवान समझते हैं और उनकी लालसा होती है कि पराये धनवान की तरह वे भी धनवान हो जाँय.

मेरे जैसे बहुत कम लोग हैं जो शेयर बाजार की चरचा खुलेआम करते हैं और इसका उद्देश्य होता है अपने अनुभवों को साझा करना साथ ही पाठकों से मिली प्रतिक्रिया के हिसाब से अपनी वाणी को नहीं तो कम से कम वाणिकी को जरुर सम्हाल सकें. शायद आप भी शेयर बाजार में निवेशक या वणिक की तरह काम करते हैँ इस लिये मैं चाहूंगा कि आप मेरी उलझन को दूर करने का प्रयास करें.

जैसे ही आप अपने ब्रोकर का ऐप पर लागिन करते हैं उसी समय सबसे पहले यह चेतावनी सामने आती है - 

ठीक उसी तरह जिस तरह सिगरेट के पैकेट पर चेतावनी छपी रहती है कि धुम्रपान स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है. सेबी कहता है कि ट्रेडिंग आपके वित्तीय स्वास्थ्य के लिये नुकसानदेह होता है. मगर सेबी यह भी मानता है कि ट्रेडिंग करने वालों में से हर दस में एक सफल हो जाता है. सिगरेट की चेतावनी में यह बात नहीं होती. 

मैं समझता हूं कि अगर सिगरेट स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है तो सरकार उसका उत्पादन ही प्रतिबन्धित क्यों नहीं कर देती. अगर वाणिकी वित्तीय स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है तो वाणिकी को प्रतिबन्धित क्यों नहीं कर देती !

मगर वास्तविकता यही है कि सिगरेट उद्योग से सरकार को भारी भरकम कर आय होती है. वाणिकी के साथ भी यही बात है. आप कुछ भी खरीदिये, कुछ भी बेचिये, नफा नुकसान आपको होगा पर ब्रोकर, शेयर बाजार, और सरकार को सिर्फ नफा होता है. चित भी उनकी, पट भी उनकी, और अंटा तो उनके बाप का होता ही है !

बहुत समय पहले कांग्रेसी सरकार के दौरान एक कानून बनाने का प्रस्ताव सामने आया था जिसमें धर्म को राजनीति से दूर करने की बात कही गयी थी. समस्या यह हुई कि जिनको रोकने के लिये यह प्रस्ताव आया था उन लोगों को इसके दायरे में लाना असम्भव हो गया. क्योंकि हिन्दूवादी ताकतों को इसकी परिभाषा में तभी बाधित किया जा सकता था जब खुलेआम कहा जाता कि हिन्दू हित की बात करना साम्प्रदायिक होगा. धर्म को परिभाषित किये बिना यह कानून बन ही नहीं सकता था और हिन्दूत्व को किसी भी परिभाषा से रिलीजन या मजहब नहीं माना जा सकता.

अब खुरपे के ब्याह में हँसुआ के गीत की बात छोड़ लौटता हूं वाणिकी पर. 

सबसे पहले तो यह परिभाषित करना होगा कि निवेश क्या है और वाणिकी क्या है ? वस्तुस्थिति यही है कि हर निवेश दीर्घकालिक वाणिकी होता है और हर वाणिकी अल्पकालिक निवेश!

निवेश करने वाला संपति अर्जित करता है जबकि वाणिकी से आय अर्जित होती है. संपति और आय में मूलभूत अन्तर यही होता है कि संंपति दीर्घकालिक लक्ष्यों की पूर्ति करती जबकि आय आपकी तत्काल जरुरतों को पूरा करने के लिये होता है. आय से  अपनी जरुरते पूरी कर लेने के बाद जो बचता है उसे ही आप निवेश करते हैं ताकि वह आपकी संपति में जुड़ जाय.

इस लेख में निवेश करने वालों के लिये कोई बात नहीं होनी है क्योंकि निवेश हर व्यक्ति अपनी पसन्द अपने रुझानों के अनुसार करता हे. यहां मैं सिर्फ उनकी बात करने वाला हूं जो अपनी आय बढ़ाने के लिये वाणिकी के रास्ते पर चलने की कोशिश करते हैं. वाणिकी किसी भी नौकरी या व्यवसाय की तरह होता है जिससे आप आय अर्जित करते हैं. और अगर आय आपकी जरुरतों से अधिक की होती है तो उस बचत को आप निवेशित कर देते है.

नौकरी सबसे अच्छी सरकारी नौकरी होती है. क्योंकि उसमें वेतन से अधिक उपरी आय का आकर्षण होता है. इसलिये सरकारी नौकरी पाना बहुत ही कठिन है. तब कुछ लोग प्राइवेट नौकरी पाने की कोशिश करते है. और सबसे सहज उपलब्ध होता है डिलीवरी ब्वाय का काम. जितनी मेहनत उतनी आय की गुंजाइश बशर्ते आर्डर मिलते रहें. 

वाणिकी भी कुछ इसी तरह का काम होता है. कोई अर्हता आवश्यक नहीं होती सिवा इसके कि आपका एक डीमैट खाता हो और थोड़ी बहुत पूंजी हो. पर ट्रेडिंग करें तो किसकी ? कुछ लोग कमोडिटी ट्रेडिंग करते हैं, कुछ करेंसी ट्रेडिंग, कुछ बुलियन ट्रेडिंग, कुछ शेयर ट्रेडिंग. पर सबसे अधिक लोग आजकल डिराईवेटिव ट्रेडिंग की तरफ आकर्षित होते हैं. जिसे आम बोलचाल की भाषा में एफ एण्ड ओ या और भी खास कहें तो आप्शन ट्रेडिंग कहते हैं. यहा मैं इसी आप्शन ट्रेडिंग की बात करूंगा. सेबी इसी आप्शन ट्रेडिंग की जोखिम से आपको सचेत करता है. 

इक्विटी ट्रेडिंग और आप्शन ट्रेडिंग में एक फर्क होता है कि इक्विटी में आप वास्तव में शेयर खरीदते या बेचते हैं. आप्शन ट्रेडिंग में आप सिर्फ खरीदने या बेचने की संभावना की बात करते हैं. यहां खरीदने वाले को छूट होती है कि वह अपने वायदे से मुकर सकता है अगर उसका नुकसान उसके द्वारा दिये गये प्रीमियम के नुकसान से अधिक होता हो. पर बेचने वाले को यह छूट नहीं मिलती. अगर खरीददार आ गया तो उसे बेचना ही पड़ेगा. इस आप्शन ट्रेडिंग में सबसे बड़ा खतरा होता है कि हर गुजरते पल के साथ प्रीमियम का नुकसान बढ़ता जाता है और अगर नियत तिथि बीत गई तो आपका पूरा प्रीमियम स्वाहा हो जाने का जोखिम होता है. इक्विटी ट्रेडिंग में यह जोखिम नहीं होता. वहां ट्रेडिंग करने वाले लोग नुकसान की स्थिति में निवेशक बन जाते है! अलग बात है कि शेयर मूल्य कितना गिरेगा या कब तक गिरा रहेगा यह कोई नहीं जानता.

इक्विटी ट्रेडिंग करने के लिये अपेक्षाकृत अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है अगर आप एक अच्छी आय की संभावना तलाशते है. इसमे आप पर दबाव नही होता कि आनन फानन में कोई फैसला करे. पर आप्शन ट्रेडिंग मे आप कबड्डी खेल सकते है क्रिकेट नहीं. आप तभी तक विरोधी खेमे  मे हुंकार भर सकते है जब तक आपका दम बचा हुआ है. वहां अभी नहीं तो बाद मे देख लेगें, कल फैसला कर लेगें वाली सुविधा नहीं होती. 

पर अगर आप आप्शन ट्रेडिंग से आशातीत सफलता की आकांक्षा न रखते हुये छोटी छोटी आय या छोटा छोटा नुकसान की सीमा बान्ध लेते है तो यह इक्विटी से अधिक फायदेमन्द हो सकता है. दो से पांच फीसदी की आय या नुकसान की सीमा में रहें तो आप दीर्घकालिक लाभ पा सकते है.

यह मेरा विचार है. पर आप क्या कहते है ? क्या सोचते है ? संवाद दोतरफा हो तो दोनों पक्षों के लिये सही होता है. आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी. 

Saturday, June 14, 2025

दस मिनट में बीटीएसटी ट्रेडिंग

 बहुत लोगों की यह शिकायत होती है कि वे ट्रेड करना तो चाहते हैं पर बाजार की समझ नहीं है. न तो फंडामेन्टल विश्लेषण कर सकते हैं ना चार्ट पढ़ने आता है. 

ऐसे ही लोगों के लिये हमने एक आकर्षक रणनीति बनाने की कोशिश की है. इसके लिये आपको दिन भर में सिर्फ दस से पन्द्रह मिनट लगाने होंगे.

आपके पास अगर डीमैट खाता है और उसमें आप आप्शन की ट्रेडिंग कर सकते हैं तो आप इस रणनीति को आजमा सकते हैं. आखिरी परिणाम इस काल्पनिक ट्रेड से अलग हो सकता है.

आपको सिर्फ निफ्टी बैंक की ट्रेडिंग करनी होगी. यह रणनीति आप्शन खरीदने वालों के लिये है और इसे एक लाख रुपये की पूंजी से किया जा सकता है.

आपको अगले महीने खतम होने वाले आप्शन खरीदना है. मौजूदा महीने वाले में नहीं. अगले महीने का आप्शन खरीदने में पूंजी अधिक लगती है पर थिटा लॉस कम होता है. इस काल्पनिक ट्रेड में मई महीने में जून सीरीज के आप्शन ट्रेड किये जाने की कल्पना की गई है. 

इस रणनीति में रोज शाम को 3-25 पर आपको कॉल और पुट आप्शन दोनों एक ही बास्केट आर्डर से खरीदना होगा और अगले दिन बाजार खुलते ही दोनों को एक साथ ही बेचना होगा. यह पूरी तरह से एक मशीनी रणनीति है जिसमें आपके विचारों का, आपके डर या लालच का कोई समावेश नहीं है. अगले दिन बाजार ऊपर खुले या नीचे या सपाट खुले आपको कोई अन्तर नहीं पड़ना चाहिये. एक मशीन की तरह ट्रेड कर के देखिये.

इस आकलन में जून महीने का बैंकनिफ्टी का आप्शन मई के महीने में ट्रेड किया गया माना गया है. ये ट्रेड मैंने लिये नहीं थे. एक विचार आया सो इसका गुणा भाग कर बैठा. इसमें किसी भी तरह के पूर्वाग्रह से बचा गया है और माना गया है कि दिन के बन्द भाव पर खरीदा गया आप्शन अगले दिन के खुलने वाले भाव पर बेच दिया गया हो. दोनो तरह के ट्रेड मार्केट आर्डर माने गये हैं. 

इस काल्पनिक ट्रेड के लिये अधिकतम पूंजी करीब 1 लाख चाहिये थी. महीने भर के ट्रेड के बाद जो परिणाम आया वह था 19390 रुपये. इसमे से ब्रोकरेज वगैरह निकाल दीजिये तो करीब 19000 का लाभ हुआ रहता अगर किसी ने इसे इस तरह ट्रेड किया होता.

गुणाभाग वाले स्प्रेडशीट का एक चित्र नीचे दिया जा रहा है.  



Monday, May 19, 2025

ट्रेडिंग करते समय प्रेग्नेन्ट लेडी का सम्मान करें

 ट्रेडिंग करते समय प्रेग्नेन्ट लेडी का सम्मान करें

लेडीज तो हमेशा सम्मान का पात्र होती हैं और जब कोई शुभ कार्य कर रहें हों तो उस समय उनपर विशेष ध्यान देना चाहिये. आज मैं आपसे ट्रेडिंग करते समय प्रेग्नेन्ट लेडी की उपयोगिता पर चर्चा करने जा रहा हूं.

इसके पहले कि मैं आगे बढ़ूं यह बात पुन: रेखाकित कर देना आवश्यक है कि मैं न तो कोई निवेश सलाहकार हूं न शोधकर्ता. मैँ एक सामान्य ट्रेडर - वणिक - हूं जो अपने अनुभवों की चरचा करना पसन्द करता है. हमेशा की तरह आज भी मैं किसी शेयर विशेष की बात नहीं करने वाला. शेयर कौन सा होगा यह आप को तय करना होगा, किस तरह का ट्रेड करना है यह आपको तय करना है और चार्ट में कौन सा टाइम फ्रेम इस्तेमाल करना है यह भी आपही तय करेंगे. बार बार यह भी बता चुका हूं कि आज तक कोई भी संकेतक - इंडिकेटर - या रणनीति - स्ट्रेटेजी - नहीं बनी जो हमेशा सही साबित हो. अगले कँन्डल में कुछ भी हो सकता है. बाजार उपर जा सकता है, नीचे जा सकता है, या यूंही चक्कर मारते रह सकता है. इस लिये कोई भी सौदा खुद जाँच परख कर के ही करें या अपने निवेश सलाहकार से बात कर के. अब चलिये बात करते हैँ प्रेग्नेनंट लेडी की.

असल में ट्रेडिंग मे इसको हरामी कहते हैं और हिन्दी में या हमारी स्थानीय भाषाओं में हरामी एक घृणित शब्द है. हरामी शब्द जापानी भाषा से आया है जिसका अर्थ होता है गर्भवती महिला यानि कि प्रेग्नेंट लेडी.

अब चूंकि मैं सामान्य ट्रेडरों के हिसाब से चर्चा करता हूं और सामान्य वणिक सिर्फ लिवाल हो सकता है बिकवाल नहीं. इसलिये मैं सिर्फ लिवाल वाली प्रेग्नेंट लेडी की बात करुंगा. सवाल उठता है कि इसको पहचाने कैसे ? इसका महत्व स्थानविशेष से प्रभावित होता है या नहीं ? कितने लाभ की संभावना है ? कितना जोखिम है ? वगैरह वगैरह.

इस रणनीति का व्यवहार करने में एक शर्त यह है कि जिस टाइम चार्ट पर यह बने उसी टाइम फ्रेम पर आप ट्रेड कर रहे हों. सामान्यतया इसे लंबी अवधि के टाइम फ्रेम पर ट्रेड करना ज्यादा सही रहेगा. लंबी अवधि के टाइम फ्रेम पर आपको अपेक्षाकृत कम राशि लगानी पड़ती है. टाइम फ्रेम जितना छोटा होगा राशि उतनी ही बड़ी लगानी पड़ेगी.

यह प्रेग्नेंट लेडी आपके चार्ट पर कभी भी दीख सकती है. आपको देखना है कि यह  उपर जाने वाला है या नीचे. स्वाभाविक है कि मैं सिर्फ लिवाल वाले ट्रेड की ही चर्चा करुंगा सो एक लंबी बियरिस कैंडल के बाद जब एक छोटी सी बुलिस कैंडल बने तो आपको इस लेडी के दर्शन मिल गये हैं. अब आपको अगली कैन्डल या कुछ कैन्डल का इंतजार करना पड़ेगा जब तक कि मूल्य रेखा बड़ी कैन्डल से उपर निकले. आप अब इस ट्रेड को ले सकते हैं, यानि कि लांग हो सकते हैं. जोखिम के लिये आपको छोटी कैन्डल के निचले बिन्दु को ध्यान में रखना पड़ेगा. और जोखिम के बराबर, डेढ़ा, या दुगुना पर आपको लाभ लेकर निकल जाना है. ज्यादा के लालच में पड़े तो - लटकले त गइले बेटा - वाली हालत बन सकती है. और जोखिम रेखा - स्टॉप लॉस - के साथ कोई भी छेड़छाड़ खतरनाक साबित हो सकती है. याद रखिये जिस दिन आप जोखिम रेखा को पौराणिक लक्ष्मण रेखा मानना शुरु कर देंगे उसी दिन से आपकी ट्रेडिंग लाभ देने लग जायेगी. ट्रेड नुकसान तब भी दे सकता है पर ट्रेडिंग लाभ दायक ही होगी. एक सौदा ट्रेड कहा जाता है और कई ट्रेड से ट्रेडिंग बनती है.

नीचे दिये गये चित्र में हमने दो आयत बनाये हैं. पहली आयत लंबी है वह सौदा लेने लायक नहीं बना क्योंकि बड़ी रेखा से उपर नहीं निकला और इस बीच कुछ निगेटिव कैन्डल बन गये. पर दूसरे आयत के बाद आप देखेंगे कि अच्छा लाभ मिल सकता था. सकता था को हमेशा याद रखियें. सकता था पर सकेगा ही तय नहीं होता. 




लंबी लाल कैन्डल के बाद बनी पॉजिटिव छोटी कैन्डल का कोई भी सिरा लंबी वाली कैंडिल के ऊपर या नीचे नहीं निकलनी चाहिये. तभी यह प्रेग्नेंट लेडी कही जायेगी.
ट्रेड करने से पहले टाइम फ्रेम तय कर लीजिये. जिस टाइम फ्रेम पर यह लेडी नजर आई है उसी टाइमफ्रेम पर आपको ट्रेड करना है.
जोखिम रेखा का पालन करिये. मृग मरीचिका में उस रेखा के परे जाना आपको जोखिम में डाल सकता है.
एक कहावत और याद रखिये - समय से पहले और भाग्य से ज्यादा न तो मिला है न मिलेगा. आपको पता नही कि आपका समय कब आयेगा और आपके भाग्य में कितना लिखा है. इसलिये हमेशा सही दिशा में चलते रहने का, प्रयास करते रहने की आदत डाल लीजिये.

लाभ मिले तो एक बार धन्यवाद दे दीजियेगा पर नुकसान होने पर हमें गाली मत दीजियेगा. मुझे क्या मालूम आपका समय कब आयेगा या आपके भाग्य में कितना है.

शुभ लाभ !





Sunday, April 27, 2025

पाकिस्तान की हालत शेयर बाजार के ट्रेडरों जैसी

 पाकिस्तान की हालत शेयर बाजार के ट्रेडरों जैसी


पाकिस्तानी मुस्लिम आतंकियों ने हाल ही में पहलगाम में जिस घृणित वारदात को अंजाम दिया है उसका परिणाम तो उसे भुगतना ही पड़ेगा. चुन चुन कर हिन्दुओं को मारने के फेर में उसने कश्मीर के मुसलमानों के पेट पर लात मार दी है. पर्यटकों के भरोसे उनकी रोजी रोटी चलती है और पाकिस्तान ने उसी रोजगार का कबाड़ा कर दिया. अब पाकिस्तानी इस चिन्ता मे मरे जा रहे हैं कि हिन्दुस्तान का हमला कहां होगा ? जमीनी युद्ध या आसमानी हमला या समन्दर की तरफ से ?

उनकी चिन्ता से मैं दुबला नहीं हो रहा. मैं तो आज एक खबर पढ़ सुन कर सोचने लग गया कि क्या पाकिस्तान की हालत ठीक वैसी ही नहीं हो गयी है जैसी शेयर बाजार में रिटेल ट्रेडरों की आये दिन होती रहती है. सारे चैनल सारे फिनइन्फ्लूएन्सर जब चिल्ला रहे होते हैं कि बाजार धड़ाम होने जा रहा है तो रिटेल ट्रेडर डर के मारे अपने शेयर बेच देता है, आप्शन के बाजार में पुट खरीद लेता है. पर जब बाजार खुलता है तो वह चकरा जाता है. क्योंकि बाजार एक नई ऊँचाई छू रहा होता है. या फिर जब चैनलों से सलाह दी जाती है कि आज बाजार उछाल मारेगा तो उस दिन रिटेलर आसमान छूते दामों पर भी शेयर खरीद लेता है या कॉल आप्शन लेकर बैठ जाता है. अब इस दिन बाजार धड़ाम हो जाता है.

पाकिस्तान की हालत इन्हीं रिटेल ट्रेडरों जैसी हो गयी है. चारों तरफ से शोर सुनने को मिल रहा था कि भारत पानी के लिये तरसा मारेगा पाकिस्तानियों को. इस डर में पाकिस्तानी अपने न्यूकपीर की धमकी देने लगा कि अगर पानी रोका तो खून की नदियां बहा देंगे, हिन्दुस्तान को नेस्तनाबूद कर देगा. पर हाय खुदा यह क्या किया इस मोदी ने ! पाकिस्तानी सूखे से डर रहे थे और झेलम की बाढ़ झेलना पड़ रहा है. और जब तक इस बाढ़ से निपटेगें तब तक शायद हिन्दुस्तान अपने डैम बन्द कर चुका रहेगा पाकिस्तानियों को पानी के लिये तरसाने के लिये.

अब इस बात से पाकिस्तान को बुद्धि आये या नहीं शेयर बाजार के रिटेल ट्रेडर वणिकों को जरूर सीख लेना चाहिये कि शेयर बाजार रोज युद्ध ही कर रहा होता है. चैनल क्या बताते हैं, फिनइन्फ्लुएन्सर क्या बताते हैं उसका कोई मतलब नहीं होता. मतलब तो आपरेटर ही जानते हैं कि वे आज बिकवाली करेगें या लिवाली. वे जो भी करें करेंगे वणिकों के सोच के ठीक उल्टा ही.

वणिकों को अपने को हर हालात के लिये तैयार रखना चाहिये. पहले से कुछ भी तय कर के मत रखिये. बाजार में भाव ही सब कुछ है. इस अन्तर्यामी को समझने की आपकी हर चेष्टा बेकार जायेगी अगर आपने अपने आप को नहीं समझा है. कोई भी संकेतक (इंडिकेटर), कोई भी रणनीति शाश्वत नहीं होती. किसी भी पल किसी भी तरफ चल देता है बाजार. आपको हमेशा चौकन्ना रहना पड़ता है. शेयर बाजार की हार जीत आप पर, आपकी सोच पर, आपके काम करने के तरीके पर निर्भर करती है. चौकन्ना रहिये पर जल्दबाजी मत करिये. पहले बाजार की दिशा समझिये और उसी तरफ चलिये जिधर बाजार जा रहा हो. और बाजार बैंक नहीं है जो आपको कुछ न कुछ ब्याज दे ही देता है. बाजार आपकी पूंजी को भी झेलम के प्रवाह में बहा सकता है. सो पाकिस्तानियों की तरह नहीं रह कर अपनी औकात में रहिये, अपने बेंवत भर ही भौकाल बांधिये. क्योकि होगा वही जो मोदी चाहेगा ! मोदी है तो मुमकिन है !

बाजार को तो पता ही नहीं रहता कि कोई वणिक भी अपने लैपटॉप पर, अपने मोबाइल पर वणिकई कर रहा है. आपके खरीदने बेचने से उसकी परिस्थिति में कोई बदलाव नहीं होता. हाथी चले बाजार, कुत्ते भूंके हजार ! आपने अगर मुनाफे की लालच में बड़ा नुकसान उठा ही लिया है तो एक बार नुकसान उठाने की कोशिश कर के भी देख लीजिये. जिस दिन आप नुकसान उठाने की कला सीख लेंगे. उसमें पारंगत हो जायेंगे उसी दिन से आप मुनाफे की दिशा में चल पड़ेंगे. हमेशा याद रखिये कि मुकाबला हिन्दुस्तान से है. उससे दोस्त बन कर रहना सीख लीजिये. मुनाफे में रहियेगा.

Saturday, April 5, 2025

इक्विटी बनाम आप्शन

 इक्विटी बनाम आप्शन


मैं यह बात पहले भी कई बार कह चुका हूं कि मैं कोई निवेश सलाहकार या रिसर्च एनालिस्ट नहीं हूं, सेबी से प्रमाणित या अधिकृत होना तो दूर की बात है. मैं जो कुछ भी बताना चाहता हूं वह अपने अनुभव के आधार पर. पिछले सतरह सालों से मैं एक वणिक की तरह काम करता आया हूं. शुरुआती सालों में मैंने वे सारी गलतियां की हैं जिन्हें करना नहीं चाहिये था. लोगों के टिप्स पर कोई शेयर खरीदना-बेचना. लगे कि जब शेयर का दाम तेजी से बढ़ रहा है तब खरीद लेना और फिर अपनी गलती पर पश्चाताप करते रहना. और जब शेयर में नयी तेजी आए तब जान बचा कर निकल जाना. मेरे जमाने में तब यस बैंक का घोटाला सामने आया था और आज तक मैंने जितना नुकसान कुल मिला कर उठाया है उसका लगभग दो तिहाई अकेले यस बैंक का योगदान है.

इतना बता देने के बाद अब मैं उस विषय पर आ रहा हूं जो एक वणिक के नजरिये से मैंने देखा है. अक्सर लोग कहते हैं कि फ्यूचर आप्शन की ट्रेडिंग जोखिम भरी होती है और अधिकतर वणिक नुकसान में ही रहते हैं. पर क्या आप कोई ऐसा बिजनेस बता सकते हैं जिसमें हर कोई मुनाफे में रहता है ? क्या कोई ऐसा व्यवसाय या अध्यवसाय बता सकते हैं जिसमें अधिकतर लोग सफल होते हैं ? अकाट्य सत्य यही है कि सफलता सिर्फ चन्द लोगों को मिल पाती है पर इसका निष्कर्ष यह कदापि नहीं हो सकता कि लोग प्रयास करना ही बन्द कर दें. समय से पहले और किस्मत से ज्यादा न तो किसी को मिला है, न मिल सकता है. पर याद रखना जरुरी है कि हमारा या आपका समय कब आयेगा यह किसी को ज्ञात नहीं होता. हमारी आपकी किस्मत में कितना लिखा है यह भी अज्ञात ही होता है. हमारा काम सिर्फ और सिर्फ प्रयास और सही दिशा में प्रयास करना होना चाहिए. परिणाम जो आए उसे स्वीकार करना हमारी नियति होनी चाहिये.

इस वेबसाइट पर निवेश की सलाह नहीं दी जाती, वह इस कारण कि मैं निवेश करता ही नहीं. मैं तो  एक वणिक हूं और मुझे आज और अभी से मतलब रहता है. कल किसने देखा है ! पर एक सावधानी मैं हमेशा रखता हूं कि मैं कभी किसी शेयर विशेष या आप्शन विशेष को खरीदने या बेचने की सलाह नहीं देता. जो लोग भी ऐसी सलाह देते हैं उनकी सलाह के पीछे उनका स्वार्थ छिपा रहता है. यहां तक की आप जिस ब्रोकर से अपना सौदा कराते हैँ उसकी सलाह को भी सावधानी से ही मानें. किसी भी टीवी चैनल, किसी भी यू ट्यूब चैनल या किसी भी वेबसाइट की बात नहीं मानें अगर वह किसी सौदा विशेष की बात करता हो. सुनिये सबकी पर करिये अपने मन की. हां अगर आप निवेशक हैं तो यहां अपना समय बेकार मत करें. यहां निवेश की कोई बात की ही नहीं जाती. निवेश शादी की तरह होता है जन्म जन्मान्तर के लिये. जबकि वणिकई वन नाइट स्टैंट जैसी होती है. मजा आया तो ठीक वरना कल फिर कुछ दूसरा देखेंगे. बाजार रोज खुलता है, छुट्टियों के दिन को छोड़कर. छुट्टियों के दिन अपने हाल के सौदों पर नजर डाला करिये जिससे आप जान सकें कि क्या फायदेमन्द रहा और क्यों, क्या नुकसानदेह रहा और क्यों.

वणिक कर्म में जितना जोखिम ले सकते हैं उसी के अनुपात में आपका लाभ या हानि रहने वाली है. कम जोखिम में नुकसान कम होगा तो मुनाफा भी कम ही रहेगा. ज्यादा जोखिम में अगर फायदा ज्यादा हो सकता है और तो नुकसान भी उतना ही बड़ा हो सकता है. इसलिये वणिक कर्म करते हुये आप अपने संभावित फायदे की न सोच कर इस पर ध्यान केन्द्रित करें कि आज आप कितना नुकसान बरदाश्त कर सकते हैं. नुकसान बस उतना ही सहना चाहिये जिससे आप कल दुबारा बाजार में सौदे कर पाने की सामर्थ्य बनाये रखें. याद रखिये वणिक कर्म में आपके नियन्त्रण में सिर्फ आपका नुकसान है, मुनाफा कितना होगा यह बाजार तय करता है.

कोई भी रणनीति, कोई भी संकेतक आपको सफलता की गारंटी नहीं देता. बन्द घड़ियां भी दिन में दो बार सही समय बता ही देती हैं. आपका अपने स्वभाव, अपनी परिस्थिति के अनुसार रणनीति सोचनी चाहिये. दूसरे उन लोगों से हमेशा सचेत रहें जो किसी सौदे विशेष की सलाह देते हों. हां अगर आप निवेशक हैं तो अपना निवेश सलाहकार किसी अनुभवी आदमी को बना लें.

सफल वणिक कर्म के लिये जरुरी है कि आप अपनी लाभ की सीमा भी तय कर करे रखें. छोटा -छोटा मुनाफा, छोटा-छोटा नुकसान नुकसान लंबी अवधि में हमेशा फायदेमंद साबित होगा. एक साधारण मापदण्ड यह होना चाहिये कि आप अपना संभावित लाभ अपनी बरदाश्त करने योग्य नुकसान के बराबर या हद से हद तीन गुना रखें. अगर आपकी रणनीति आपको 60 प्रतिशत सफलता देती है तो सौ सौदों में चालीस बार आपका नुकसान कुल मिला कर चालीस हो औ साठ बार में कुल मिला कर एकसौ बीस हो तो इस गणना में आपको हर सौदे पर 0.8 का मुनाफा होता है जो कि पर्याप्त होना चाहिये.

सफल वणिक कर्म के लिये यह बहुत ही जरुरी है कि आपके सौदे का आकार आपकी नुकसान उठाने की सीमा से प्रतिबन्धित रहे. मान लीजिये कि आप किसी भी सौदे में अधिकतम एक हजार रुपये के नुकसान बरदाश्त कर सकते हैं तो आपको अपने सौदे का आकार (1000/संभावित नुकसान के बराबर होना चाहिये. उदाहरण के लिये आप जो सौदा करने जा रहे हैं उसमें प्रति नग एक रुपये का नुकसान की सीमा नजर आती हो तो आपको हजार नग से ज्यादा का सौदा नहीं करना चाहिये.

वणिक कर्म में दो तरह की टीमें शामिल होती हैं. एक टीम खरीदने वालों की होती है तो दूसरी टीमे बेचने वालों की. हर टीम में एक से बढ़कर एक धुरंधर और बड़े खिलाड़ी मिल जायेंगे. हमारी गलती हो जाती है कि हमें अपनी अक्ल हमेशा दूसरे से ज्यादा लगती है. खरीदने वाला कम जोखिम लेता है क्योंकि उसे मालूम है कि जो भी उसने खरीदा है वह हद से हद शून्य तक गिर सकता है. पर जो बेचने वाला होता है उसका जोखिम असीम होता है क्योंकि मूल्य किसी भी स्तर तक जा सकता है. उपर की कोई सीमा नहीं होती. हम में से अधिकतर लोग खरीदने वाली टीम में होते हैं. हम भूल जाते हैं कि बेचने वाला हमेशा ज्यादा जानकार या ताकतवर हो सकता है. अगर आपके पास खरीदने का कारण है तो उसके पास भी बेचने के कारण होंगे ही. याद रखिये कि वणिक कर्म में जीरो सम गेम का खेल होता है. अगर कोई जीत रहा है तो सामने में कोई उससे ज्यादा हार रहा है. बीच में दलाली और सरकारी टैक्स दोनों से मलाई काट रहे होते हैं.

लेख लंबा होता जा रहा है और अब तक मैने उसकी चर्चा की ही नहीं कि इक्विटी बनाम आप्शन में क्या श्रेयस्कर होता है ? जोखिम आप्शन में ज्यादा होता है क्योंकि उसमें मुनाफे की संभावना भी ज्यादा होती है और जब नुकसान होता है तो नुकसान भी उसी अनुपात में ज्यादा होता है. इक्विटी में जोखिम कम होता है क्योंकि आप उसे खरीद कर पकड़े रह सकते हैं. और देर सबेर उसके लाभ में जाने की संभावना हमेशा बनी रहती है. आप्शन में एक खास समय तक उसका मूल्य शून्य हो ही जाना है.

इक्विटी में आपको बड़ी राशि लगानी पड़ती है जबकि आप्शन में एक छोटी राशि. गलती यहां हो जाती है कि हम आप्शन में होने वाले लाभ को तो देख लेते हैं पर भूल जाते हैं कि नुकसान भी उसी गुणन में होने की आशंका होती है. इक्विटी वणिक कर्म धीमी रफ्तार से चलता है जबकि आप्शन में बहुत ही तेज रफ्तार से. पलक झपकते आप्शन का लाभ नुकसान में बदल सकता है जबकि इक्विटी में थोड़ा समय मिल सकता है. आप्शन का खेल कबड्डी जैसा होता है. आपको अकेले प्रतिद्वन्द्वी के किले में घुसने होता है जहां एक पूरी टीम आपको घेरने का इंतजार कर रहती है. आपको अपनी साँस टूटने से पहले प्रतिद्वन्द्वी के किले से वापस लौट आना होता है.

पर एक मिथक यह भी है कि आप्शन का खेल एक दिन का होता है. साप्ताहिक आप्शनों से दूर रह कर  अगर आप मासिक आप्शन में वणिकी कर रहे हैं तो आप कुछ दिन का इंतजार कर सकते हैं. पर तब आपको उतने ही लाभ के लिये अधिक ऊंचाई तक जाना पड़ सकता है. मेरा सुझाव यही रहेगा कि जो भी आप्शन आप खरीदें - कॉल का या पुट का - उससे जितनी जल्दी निकल जायें उतना ही अच्छा. छोटी सामर्थ्य वाले वणिक को एक सौदे में पांच सात सौ से ज्यादा के लाभ की आशा नहीं रखनी चाहिये. छोटा छोटा मुनाफा अगर कई बार हो तो वह बड़ा मुनाफा दे सकता है. पर अगर कहीं बड़े लाभ की प्रतीक्षा में बड़ा नुकसान हो गया तो आप बरबाद भी हो सकते हैं. इसलिये आप्शन में हमेशा छोटा लाभ लेकर निकल जाने की आदत डाल लें. आपको शायद पता नहीं हो पर बड़े खिलाड़ी बहुत ही कम प्रतिशत का लाभ लेकर निकल जाते हैं. वह इसलिये कि उनकी राशि बहुत ही बड़ी होती है. एक करोड़ की राशि का सौदा करने वाला अगर एक फीसदी लेकर निकल जाया करे तो उसको हर सौदे में एक लाख का मुनाफा होता है. पर अगर जो आप दस पन्द्रह हजार रुपये से आप्शन के मैदान में हैं तो एक फीसदी का मुनाफा तो ब्रोकरेज वगैरह में ही निकल जायेगा. पर पांच प्रतिशत का मुनाफा लेकर सौदा काट देना लंबी अवधि में लाभदायक साबित हो सकता है. मगर तब आप को दस प्रतिशत से अधिक का नुकसान होते ही निकल भागना पड़ेगा. नुकसान में मैं दस प्रतिशत की बात इस कारण कर रहा हूं कि उतार चढ़ाव इतनी तेजी से होता है कि आप को फैसला लेने में देरी हो सकती है. जब आप कोई आप्शन खरीदते हैं तो उस समय आप अपनी रणनीति के हिसाब से खरीद रहे होते हैं. इसलिये पांच प्रतिशत का मुनाफा जल्द ही मिल जायेगा. हाँ कई बार में एकाध बार आपको दस प्रतिशत का नुकसान भी उठाना पड़ेगा. पर कुल मिलाकर आप लाभ में रहेंगे, ऐसी आशा की जा सकती है.

आखिरी बात यह कि इस वणिक कर्म के लिये आप रेंज बार का उपयोग करें. यह रेंको से बेहतर होता है और सामान्य कैन्डल की तरह हर मूवमेंट दिखलाता रहता है. अगर इस रेंज बार के साथ आप फेयर वैल्यू गैप को भी शामिल कर लें तो लाभ होने की संभावना बढ़ जायेगी.

अपनी बात तो मैँ काफी देर से कह रहा हूं. आप अपनी बात कब कहियेगा ? अगर आपके कुछ प्रश्न हों तो पूछ कर देखिये.

Thursday, March 20, 2025

आशा से हुलसना और आशंका से झुलसना

आशा से हुलसना और आशंका से झुलसना

बहुत पहले एक उपन्यास में पढ़ा था कि आशा से हुलसना और आशंका से झुलसना खत्म होते ही प्यार मर जाता है. मगर जबतक आशा से हुलसना और आशंका से झुलसना बन्द नहीं कर पाइयेगा तब तक आप एक सफल वणिक नहीं बन सकते. क्योंकि वणिकई - trading - में आशा और आशका का द्वन्द्व हमेशा चलता रहता है और एक सफल वणिक को इससे मुक्त होना बहुत ही जरुरी होता है.

और यहीं याद आ जाती है शिवमंगल सिंह 'सुमन' की एक कविता -

यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

स्‍मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खंडहरों के लिए
यह जान लो मैं विश्‍व की संपत्ति चाहूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

क्‍या हार में क्‍या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना मैं व्‍यर्थ त्‍यागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

चाहे हृदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्तव्‍य पथ से किंतु भागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

- शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

(साभार - कविता कोश  )

अलग बात है कि एक बार भारत के पूर्व प्रधानमंत्री कवि हृदय  स्व. अटल बिहारी बाजपेयी ने इस कविता का पाठ कर के इसे इतना विस्तार दे दिया कि बहुतों को लगता है कि यह उन्हीं कि कविता है.

कवि ने इस कविता को जिस भी अभिप्राय से लिखा हो पर आज मैं इस कविता का उपयोग वणिकई के सन्दर्भ में करने जा रहा हूं.  आशा से हुलसना और आशंका से झुलसना बन्द कर देना ही पर्याप्त नहींं है.

शिवमंगल जी कि कविता की पंक्ति है -
यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है

एक वणिक को इससे यही सन्देश ग्रहण करना चाहिये कि वणिकई में मिली हार जीवन का अन्त नहीं. मुझे वणिकई आती नहीं पर -
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

मैँ यह संग्राम जीतने के लिये लड़ता रहूंगा. किसी से कोई टिप्स नहीं लूंगा. किसी दूसरे की सलाह पर मैं अपना ट्रेड कदापि नहीं लूंगा.

क्‍या हार में क्‍या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

मेरा ट्रेड मुझे लाभ दे या नुकसान, मैं अपने निर्णय के हिसाब से, अपनी रणनीति के हिसाब से ही ट्रेड करूंगा. और इस क्रम में जो भी परिणाम आए मैं उसका स्वागत करूंगा. किसी दूसरे की सलाह पर मैं कोई सौदा नहीं करुंगा.

लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना मैं व्‍यर्थ त्‍यागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

मेरी अनुभव हीनता का आभास दिलाना जरुरी नहीं. तुम बहुत बड़े वणिक हो बने रहो, मैं अपनी स्वंय की रणनीति का त्याग नहीं करने जा रहा. किसी भी स्थिति में मैं आपसे सलाह नहीं मांगने जा रहा.

चाहे हृदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्तव्‍य पथ से किंतु भागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

तुम मुझे कितना भी बेवकूफ समझो. मुझे कितना भी बुरा भला कहो पर मैं अपनी योजना,  अपनी रणनीति छोड़ने नहीं जा रहा. किसी भी स्थिति मे मैं आपसे सलाह नहीं लेने जा रहा.

आप को भी लगता होगा कि यह शैली तो निश्चित गर्त में ले जायेगी. पर यह उतना निश्चित भी नहीं जितना आप इसे बतलाने की कोशिश करेंगे. अपनी रणनीति पर टिके रहने का अर्थ यह नहीं होता कि आप अपने अस्त्रों को धार देना बन्द कर देंगे. बढ़िया से बढ़िया रणनीति भी शत प्रतिशत सफलता नहीं देती. आप को अपने पसन्द की रणनीति, अपनी क्षमता के अनुसार योजना बनाना ही होगा. जैसे जैसे आप इस मार्ग पर आगे बढ़ते जायेंगे आप अपनी असफलताओं से सीखते भी जायेंगे और तदनुसार अपनी योजना में अेक्षित सुधार भी करते जायेंगे.

और शोध प्रबन्ध लिखने बैठने से पहले जरुरी है कि आपने अपनी शुरुआत ककहरा सीख कर ही करें. गुरु से ज्ञान लेना चाहिये पर अपने मार्ग पर उस ज्ञान का प्रयोग अपने अनुभवों से परिमार्जित भी करते रहना चाहिये.


Wednesday, March 5, 2025

मरी बिल्ली की उछाल

हिन्दी में इस शीर्षक को समझने के लिए अगर "डेड कैट बाउन्स" कहा जाय तो शेयर चर्चा करने वाले लोग सहजता से समझ लेंगे. कल और आज शेयर बाजार में सुधार के लक्षण दिखाई दे रहे हैं. पर जानकार सलाहकारों की चेतावनी है कि यह मरी बिल्ली की उछाल भी हो सकती है. अगर मरी बिल्ली काफी ऊँचाई से गिरे तो गिरने के बाद उछलती दिख सकती है, या यों कहिये कि लग सकती है.

सो मैंने देखना चाहा कि पिछले सात आठ साल की निफ्टी की चाल देख ली जाय. लम्बी अवधि के इस चार्ट को देखने के लिये मैंने साप्ताहिक कैन्डल का चुनाव किया और परिणाम आपके सामने है -


इस चार्ट को देखने के बाद आप भी मानेंगे तो देश के शेयर बाजार में कोई बहुत बड़ी अनहोनी नही हो गई है. बाजार कभी सीधी रेखा में नहीं चलता. कभी ऊपर तो कभी णीचे मगर लम्बी अवधि में यह ऊपर जाता हुआ ही दिखेगा. इसी कारण बाजार की कहावत है कि खरीदो और भूल जाओ. छह सात आठ साल के बाद देखोगे तो निवेश के सारे तरीके इसके सामने गौण हो जायेंगे.

मगर क्या यह हमेशा ही सच होता है ? जीवन्त भाषा की तरह शेयर बाजार की भाषा भी नये नये कहावत गढ़ती है. पहले के जमाने में शेयर निवेश का यही तरीका प्रचलित था कि खरीद लो और बने रहो - Buy and Hold ! तब के निवेशक कहीं और से नियमित आय प्राप्त करते थे और अपनी बचत का एक छोटा हिस्सा शेयरों में निवेशित कर के रखते थे. उन निवेशकों का जमाना बदल रहा है. अब शेयर बाजार में नौजवानों की संख्या बहुत अधिक हो गई है और यह वर्ग चट मंगनी पट व्याह की बात अधिक पसन्द करता है. जन्म जन्मान्तर का संबंध अब अपवाद होने लगा है. अब तो लिव इन का दौर आ गया है. इस लिये बाजार की वह कहावत अब उतनी प्रभावी नहीं रह गई है खास कर उन लोगों के लिये जो अपना खर्च शेयर बाजार से निकालने की जुगत भिड़ाते रहते हैं.

ऊपर दिये गये इस चित्र से आप भी मानेंगे कि जब इस उर्ध्वगामी समानान्तर चैनल की उपरी रेखा के पास पॅहुचे तो निकल जाईये और जब निचली रेखा के पास पँहुचे तो नया निवेश कर डालिये. पर यह बात कहने में जितना आसान है, व्यवहार में उतना ही कठिन. मगर अभ्यास से आप इसे सहजता से प्राप्त करने लग सकते हैं, बशर्ते आप बिल्कुल शीर्ष पर बेचने और निम्नतम स्तर पर खरीदने की कुचेष्टा नहीं करें. जब आपको लगे कि बाजार बहुत तेजी से ऊपर जा रहा है तो कुछ कुछ निवेश समाप्त करते रहिये. और जब लगे कि बहुत नीचे गिर रहा है तब खरीदने की सोचिये. हाँ एकमुश्त बेचने या खरीदने की गलती मत करें. निवेश योग्य राशि पूरी की पूरी शेयरों में मत लगायें. एक उदाहरण जो मैं नौजवानों को बताता हूं वह यही कि जब आपका निवेश एक साल के फिक्स्ड डिपाजिट पर मिलने वाले ब्याज की बराबरी कर ले तब उसे एक बार तोड़ दें. हजारों स्टॉक हैं शेयर बाजार में और हर दिन कोई न कोई स्टॉक उपर जाता मिल जायेगा या नीचे गिरता मिल जायेगा. एक निवेश भँजा कर दुसरे निवेश में लगाना ज्यादा लाभदायक हो सकता है. बाकी आपकी अपनी मर्जी.

उलझन सुलझे ना रस्ता सूझे ना

उलझन सुलझे ना रस्ता सूझे ना एक पुराने हिन्दी फिल्म धुंध का एक गाना था -  उलझन सुलझे ना, रस्ता सूझे ना. जाऊं कहां मैं जाऊं कहां ? मेरे दिल क...