Saturday, October 11, 2025

कोई लाख करे चतुराई करम के लेख मिटे ना भाई.

कोई लाख करे चतुराई करम के लेख मिटे ना भाई.
जरा समझो इसकी सचाई करम केे लेख मिटे ना भाई.
इस दुनिया में भाग्य केे आगेे चले ना किसी का पार.
कागद हो तो हर कोई बाँचेे करम ना बाँचा जाय.
एक दिन इसी किस्मत के कारण बन को गयेे थेे रघुराई.
करम का लेेख मिटे ना भाई.

अक्सर जब मैं कोई लेख लिखने चलता हूं तो कुछ देर उस विषय पर मंथन करता हूं और उसका सार निचोड़ अगर किसी बढ़िया गीत के मुखड़े सेे या किसी पुरानी कहावत सेे मेल खा जाती है तो मैं उसी को अपने लेेख का मथैला बना लेेता हूं. आज भी वही मथैला हैै पर चरचा मैं भक्ति की नहीं, वाणिकी - ट्रेडिंग - की करने जा रहा हूं कि -
कोई लाख करे चतुराई करम के लेख मिटे ना भाई.  

वाणिकी में यह उक्ति सटीक बैठती है कि - 
होनी तो हो कर रहे, अनहोनी ना होय.
जिसको मारे साईंया बचा ना सकीहें कोय.

पर इन उक्तियों या सचाई सेे मैं आपकि निराशा की तरफ नहीं ले जाना चाह रहा. मेरा कहना है कि मौत तो एक ना एक दिन आनी ही है. अगर मौत के खौफ मेंं जिन्दगी गुजार दोगे तो जिन्दगी का आनन्द नहीं ले पाओगे. मेरा तो यही मानना है कि जिसको मौत सेे डर लगता हैै उसको जीनेे का हक नहीं. अगर वाणिकी में आपको नुकसान होने का डर, पूंजी गँवाने का डर लगता है तो भईया वाणिकी करो ही क्यों!

जीना है तो मरना सीखो, कदम कदम पर लड़ना सीखो. अगर वाणिकी में लाभ कमाना है तो नुकसान के लिये तैयार रहना पड़ेगा. क्योंकि सिर्फ नुकसान ही आपके वश में हैै, लाभ होगा कि नहीं, होगा तो कितना होगा यह आपके वश में न होकर भाग्य यानि कि बाजार के वश मेंं होता है. गीता का श्लोक याद करिए -

कर्मण्ये वाधिकारस्ते, मा फलेषु कदाचन.
 
आपके अधिकार मेें सिर्फ कर्म है उसका परिणाम नहीं. वाणिकी में आपको संभावनाओं के सहारे चलना होता है और जब भी लाभ की संभावना दिखे आपको उस दिशा में बढ़ना होता है पर सौदा करने से पहले देख लीजिए कि नुकसान की संभावना कितनी है. उतना नुकसान आप सहन कर पाऐंगे क्या? एक बार जब आप उस नुकसान की संभावना को स्वीकार कर लेते हैं तो लाभ आपके कदम चूमनेे की प्रतीक्षा में होगी. 

आज मैं एक रणनीति की बात करूंगा जिसका उपयोग आप किसी भी तरह की शेयर वाणिकी में कर सकते है, कमोडिटी हो, करेंसी हो, इक्विटी हो, बुलियन हो, या आप्शन ट्रेेडिंग. हर जगह थोड़ा बहुत परिवर्तन कर केे इसका उपयोग किया जा सकता है.

मैँ स्वंय तो आप्शन खरीदने वाला हूं और यह रणनीति मूलत: उसी के लिये बनाई है. पर सोचा कि अधिकतर लोग इक्विटी में वाणिकी करते हैं क्योंकि उन्हे बताया गया है कि इक्विटी वाणिकी में नुकसान होने की संभावना कम होती है. यह सचाई भी है पर यह भी उतना ही सच है कि जितना जोखिम उतना फायदा. कम जोखिम वाले काम में लाभ भी कम ही होता है क्योंकि नुकसान की संभावना कम होती है. पर अधिक लाभ कमाना हो तो फिर अधिक जोखिम के लिए भी तइयार होना पड़ेेगा. अब यह आप पर निर्भर करता है. पर पंचों की राय सिर माथेे रखते हुए मैैं उसी रणनीति में थोड़ा बहुत फेर बदल कर आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं.

पर उससे पहले चेतावनी - 
मैैं न तो निवेश सलाहकार हूं न शोध विश्लेेषक. जो कुछ भी मै बताना चाहता हूं वह अपने अनुभव से सीखा है. लाखों का नुकसान उठाने के बाद, बरसों का अनुभव प्राप्त करने केे बाद आज मैं अपना अनुभव आपसेे साझा कर सकता हूँ. पर आप मेरेे अनुभव को मान लें यह जरुरी नहीं. रुपये आपके लगेेंगे, लाभ आपको होगा तो नुकसान भी आपही का होगा. मेरा कुछ नहीं जाता. मैं तो फकीर हूं किसी भी दिन झोला उठाकर चल दूंगा ;-)

हर स्टॉक का एक खास अंदाज होता है. कुछ तेेजी सेे बढ़ते या गिरते हैं, कुछ बहुत सुस्ती सेे. वाणिकी करना हो तो आपको वैैसेे स्टॉक चुनने होंगे मेें जिनमें वोलेेटिलिटी, बड़ा उछाल-गिरावट वाला, हो और जिसे बड़ी संख्या में खरीदा या बेचा जाता है.

अगर आप निवेशक हैं तो यह लेख आपके काम का नहीं. आप यहीं से वापस जा सकते हैं. मगर अगर आप वाणिकी सेे अपनी आय बढ़ाना चाहते हों तो बने रहिए. वाणिकी के लिए आपको कई एक स्टॉक के शेेयर खरीदने की जरुरत नहीं. आप किसी भी एक स्टॉक को चुन सकते हैं जिसमेंं वोलेटिलिटी और लिक्विडिटी रहती हो. उदाहरण के लिये मैं कोई भी नाम नहीं दूंगा. यह फैसला आपको करना होगा.

मान लीजिए आपने एक स्टॉक चुन लिया. अब आपको सिर्फ वही एक स्टॉक खरीदना या बेचना है. अब उसकी लिक्विडिटी देखिए कि क्या उस स्टॉक में रोज कम सेे कम दस करोड़ रुपयों का सौदा होता है. अब अगला कदम यह जानना है कि उस स्टॉक के लिये सर्किट कितनेे प्रतिशत के बदलाव पर लगता है. कुछ में यह दो प्रतिशत तो कुछ मे बीस प्रतिशत तक का होता है. अगर सर्किट कम का है तो मान कर चलिए कि वह  स्टॉक वोलाटाइल भी है.

मान लीजिये आपने जिस स्टॉक को वाणिकी के लिये चुना उसका सर्किट पाँच फीसदी का है. आगे का काम अगर आपके पास कोई चार्टिंग सॉफ्टवेेयर तो काम आसान हो जाएगा. यहाँ मैं मान कर चल रहा हूं कि आपके पास न तो ऐसा कोई सॉफ्टवेेयर है, न आप टेक्निकल चार्ट की भाषा जानते हैैं. आपको उस शेेयर का दाम पिछली दीपावली के दिन हुए मुहुरत का आखिरी भाव देखना है. 

अब उस भाव को पाँच प्रतिशत, बेेहतर होगा दस प्रतिशत के चरणों मेें बढ़ाते जाइए. मान लीजिए कि उस दिन वह स्टॉक 317 रुपये पर बन्द हुआ था. अब इसे दस प्रतिशत केे चरण मेें बढ़ाते जाइए. गणना की सुविधा केे लिए मैैं तीस रुपये का चरण तय करूंगा अगली दीपावली मुहुरत के दिन तक के लिए. सो चरण बने -
317, 347, 377, 407. यह गणना आगेे तक जा सकती है पर सरल भाव में मै यह मान लेता हूं कि इस स्टॉक का शेयर 396 पर है. सब कुछ काल्पनिक है. अलग अलग स्टॉक के लिए गणना भी अलग अलग होगी. मैैं यहां सिर्फ एक उदाहरण दे रहा हूं.

अब अगर आज आप इसको खरीदना चाहते हेैँ तो आप को 396-377 यानी कि 19 रुपए का नुकसान हो सकता है. और आप सिर्फ नुकसान का अनुमान लगा सकते हैं. लाभ का अनुमान लगाने की जरूरत नहीं और आपको करना भी नहीं चाहिए. 

अब आप इस सौदे में तब तक बने रहिए जब तक यह 407 तक नहीं पंहुच जाता. यानि कि मात्र 11 रुपए का लाभ. पहली नजर में आपको लगेगा कि 19 रुपयों का जोखिम उठाकर मात्र 11 रुपये का लाभ. ना बाबा नहीं करना ऐसा  सौदा! पर मैैंनेे यह कब कहा कि आप यहाँ निकल जाईए. मैंने तो यही बताया कि तब तक बने रहिए.

अब अगर यहां तक मेेरी बात आपको समझ में आ गई है तो अगले चरण की तरफ बढ़ता हूं. कोई भी सौदा उतने ही शेयर का करना चाहियेे जितना नुकसान उठाकर भी आप बाजार में बने रह सकते है. यह सौदा कितनेे का होगा या होना चाहिए अब इसकी चरचा करें. फिर मान लीजिए कि आप किसी भी सौेदे मेें अधिकतम एक हजार रुपयेे का नुकसान उठा सकते हैं तो आपको उस स्टॉक के 1000/19  (नुकसान की सीमा को नुकसान की संभावना से विभाजित करके) मात्र पाँच शेयर खरीदने चाहिए. 

उदाहरण केे लिए मैैं इसेे छह शेयर मान कर चलता हूं. अब जब आप के शेयर का भाव 407 रुपये पर आ गया तो यहाँ आप तीन शेेयर बेच दीजिए. बाकी बचे तीन शेयर छोड़ दीजिए स्टॉप लॉस पर कटने के लिए. 

जब भाव 437 पर आ जाय तो आपका स्टॉप लॉस अब 407 पर आ जाएगा. 467 पर आ जाय तो आपका स्टॉप लॉस 437 पर आ जाएगा. इस तरह आपका यह सौदा कभी भी कटेगा तो लाभ देकर ही. सिर्फ पहला चरण ही कठिन होता हेै जब आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है.

आशा है आपको यह रणनीति लाभदायक लगी होगी. अगर आपको कुछ प्रश्न बनते हों तो आप नीचे कमेेंट कर सकते हैं. कोशिश करूंगा कि आपके प्रश्नों का उत्तर यथाशीघ्र दे सकूं.


Thursday, October 2, 2025

वणिकों का सबसेे घातक दुश्मन : आशा

 वणिकों का सबसेे घातक दुश्मन : आशा
HOPE-WORST-ENEMY-OF-TRADERS


वणिकों का सबसेे घातक दुश्मन उनकी आशा होती है और यह जानते हुए भी अधिकतर वणिक - ट्रेडर - स्टॉक ट्रेडर - उसी आशा से चिपके रहते हैं इस उम्मीद मेे कि शायद उनको नया जीवन मिल जाय.

मैं हर बार बताता हूं कि मैं न तो निवेश सलाहकार हूं न अनुसंधानकर्ता न विश्लेषक. और मैं कोशिश करता हूं कि कभी किसी चरचा में किसी स्टॉक विशेष का नाम न लूं. फिर भी कुछ मित्र परिचित गाहे बगाहे मेरी सलाह मांगते ही रहते है. शायद उनको लगता है कि मैं एक अनुभवी वणिक हूं और मैं हर स्थिति से गुजरा हुआ हूं. वो जानना चाहते हैं कि उनुका एक ट्रेेड बहुत ही गलत चला गया है और वह उससे निकलने या निपटने में मेेेरे विचार जानना चाहता हूं. यह सारी चरचा अनौपचारिक होती है और इसमें कोई लेनदेन नहीं होता. अधिकतर मामलों मेें जिस स्टॉक के बारे मेें राय मांगी जाती है उस स्टॉक विशेेष में मैं सक्रिय नहीं होता. कई बार तो उस स्टॉक का नाम भी पहली बार सुन रहा होता हूं. 

हर वणिक अपना सबसेे बड़ा दुश्मन स्वंय होता है. उसेे अच्छी तरह याद रहता है कि शिकारी आएगा, जाल बिछाएगा, लोभ से उसमें फंंसना नही. और वह उस सलाह को दुहरातेे हुए किसी न किसी जाल मेें फँसता रहता हैै. आज तक ऐसा कोई वणिक नहीं हुआ जिसनेे नुकसान न उठाया हो. शेयर बाजार का शाश्वत सत्य ही यही है कि बाजार में कुछ भी कभी भी हो सकता है. कबीर जैैसेे लोग भी कहतेे आए हैं कि डूबा वंश कबीर का उपजा पूत कमाल. अलग बात है कि कमाल मेंं भी संभावनायें होती हैं. और उसकी सलाह भी बहुत काम की मिलती है. जैसेे कि - 
चलती चक्की देेख कर हँसा कमाल ठठाय,
कील पकड़ कर जो रहेे कभी ना पीसा जाय.

हर वणिक अगर कील से - बाजार की धुरी सेे, खुद की बनाई रणनीति सेे - चिपका रहे तो अंततोगत्वा उसकी जीत ही होती हैै. मगर वह अक्सर अपनी रणनीति को नजरअंदाज कर देता है  और बाद मेें सोचने लगता हैै कि इस जाल सेे निकलेे कैसेे!

आगे बढ़ने सेे पहलेे इस तथ्य को रेेखांकित करना जरुरी है कि ऐसा होता क्यों है. उसेे लगता हैै कि वह हमेशा सही रहता हैै (रहता नहीं पर उसेे अपनी गलतियां याद नहीं रहतीं अपना सही होना याद रहता हैै) और इस बार भी वह सही ही साबित होगा. उसका इगो उसे वास्तविकता स्वीकार करने सेे रोक देता है और वह अपनी आशा से चिपक जाता है कि बस अब बाजार पलटने ही वाला है, इस कैंडल मेेंं  नहीं तो अगलेे कैंडल में. बाजार पलटता नहीं और वणिक अपने ही बनाए दलदल मेें लगातार धँसता चला जाता है.

किसी भी गलत सौदे से निकलने या निपटनेे का एक ही तरीका होता है - अपनी गलती मानो और सौदा तोड़ दो! जितनी जल्दी स्वीकार कर सको और सौदा काट सको उतना ही बढ़िया. आशा उम्मीद वणिक के लिये जहर होती हैै. और यह जहर जैसेे जैसे अपना असर बढ़ाता जाता है वैैसे वैसे वह इस जहर की खुराक बढ़ाता जाता हैै. 

जो वणिक इस वास्तविकता को स्वीकार कर लेता है वह अंत मेेें विजयी हो कर निकलता हैै. क्योंकि हर सौदा ट्रेेड नहीं हुआ करता. कई सौदेे मिल कर ट्रेेेड बनते हैं. कई बार दस में से तीन बार ही सही रहनेे वाले वणिक भी बहुत लाभ कमा लेतेे हैं और अधिकतर सही रहनेे वाला वणिक नुकसान मेें रहता है. अंतर यही है कि पहली तरह का वणिक अपने दंभ में नहीं रहता, आशा के भरोसेे नहीं रहता. जैसे ही उसेे सौदा गलत होनेे का आभास होता है वह सौदा तोड़ देता हैै. दूसरी तरह का वणिक ऐसा नहीं कर पाता और अपने गलत हो चुके सौदे सेे चिपका रह जाता हैै.

कई वणिक नुकसान उठाने को तैयार नहीं हो पाते. वह चाहते हैं कि कोई ऐसा उपाय हो जिससेे इस नुकसान को कम किया जा सकेे. उसे हर सौदा जीतना होता हैै भले इस क्रम में वह अपने ट्रेेड में गलत साबित हो जाय!

और आज ऐसेे ही सौदे सेे सही सलामत निकलनेे की प्रक्रिया की चरचा करने जा रहा हूं इस लेेख में. पूरा पढ़िए और अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दीजिए. 

मैैंने आज ऐसे ही किसी स्टॉक को गूगल किया तो एक उदाहरण मेेरे सामने आया. इस स्टॉक का नाम मैंने कभी नहीं सुना था और शायद आप भी नहीं जानतेे होंगे. आज मैं उस स्टॉक का चार्ट तो दिखलाऊंगा पर उसका नाम नहीं बताऊंगा. यह एक वास्तविक चार्ट और एकदम ताजा. आज तक का ही है. यह स्टॉक ऐसेे गलत सौदों का एक सटीक उदाहरण हैै. सबसेे पहलेे तो इसका शुरु सेे आज तक का चार्ट देखिए. फर्श सेे शुरु होकर इसको कितनी तेजी से अर्श तक पहुँचाया जाता हैै वह भी देख लीजिए. एक नया नया लिस्टेेड शेयर महीनों तक अपर सर्किट मेे फसा रहता है और नये नये लोग इसका सौदा करतेे चले जाते हैैं. मगर जिस खिलाड़ी नेे या जिन खिलाड़ियों नेे यह खेल शुरु किया था उन्हें अच्छी तरह मालूम था कि कहां निकल जाना है. उसके बाद जो होता है वह भी आपके सामने है. इस चार्ट को दो हिस्सों मेे देखिए. पहला भाग पहली पहाड़ी मेें नजर आता हैै. 


पर असल खेेल दूसरेे चरण मेें खेेला जाता है. लोगों कि इस खंडहर का अतीत याद रहता है और उन्हें लगता है कि यह फिर अपना शिखर छू ही लेगा. और जब दूसरी बार यह खेल शुरु होता हैै तो इस बार बड़ेे बड़ेे वणिक (हो सकता है कि बड़ा वणिक होना उनका भ्रम ही हो) भी इसमे फँस जाते हैं. दूसरों की सलाह पर ट्रेड करने वाले तो फँसने केे लिए होतेे ही है. 

इस दूसरी पहाड़ी का ढलान जब अंत होता नहीं नजर आता तब सोचने लगता है कि कहां फँस गया! अब इससे निकलूं कैैसेे? दो चार दस फीसदी का नुकसान लेकर निकल जाना होता तो निकल भी जाते पर जब नुकसान साठ सत्तर फीसदी का हो तो हिम्मत नहीं हो पाती. और इसके कई उदाहरण भी बाजार मेें दिखते रहते है कि आप जैैसेे ही इस स्टॉक सेे निकलतेे हैं यह उड़ान भरना शुरु कर देता है!


आज इस लेख में मैै इसी स्थिति की चरचा करने जा रहा हूं. जब भी ऐसी स्थिति बन जाय कि आप भी मानने लगें कि इस सौदे मेें फंस गया हूं तो जितनी जल्दी निकल जाईए उतना ही अच्छा. पर अगर आप चाहते हों को आप अपनी पूरी पूंजी भी बचा लेें और इससेे मुक्ति भी पा लेें तब आपको हर उछाल में बेचना और बाद मेें आनेे वालेे गिरावट में खरीद लेनेे का क्रम चलाना पड़ेेगा. जब भी उछाल केे बाद गिरावट मिलेे पूरा सौदा काट दीजिए. पर इस सौदे को भूलिए मत. जब दुबारा गिर कर नये उछाल की तइयारी करेे तब इसेे फिर खरीद लीजिए. बेचने से जितनी राशि मिली थी उस पूरी राशि का उपयोग खरीदनेें मेें करना होगा. स्वाभाविक है कि आपने जितनेे शेयर बेेचे होंंगे उससेे कुछ न कुछ अधिक शेयर खरीद लेेने की स्थिति बनेगी. और यह अतिरिक्त शेयर ही आपका लाभ होगा. हर उछाल केे बाद पूरा सौदा काटिए और जब उछाल के संकेत मिलें तब पूरी राशि से शेेेयर खरीद लेें. इस क्रम में हर गिरावट पर आपके खरीदे शेेयरों की संख्या बढ़ती जाएगी और हर उछाल में राशि की!

 
यह अंतिम उपाय की तरह है. मरता क्या नहीं करता. सब कुछ करियेे पर एवरेजिंग नहीं करिये. उछाल पर बेचनेे के बाद गिरावट में खरीदते समय बढ़ते शेेयर एवरेेजिंग मेें नहीं आते. यह आपके सेेल सेे मिलने वाला लाभ है. अगर इस उपाय सेे काम नहीं बना तब भी एक काम तो बन ही जाएगा कि आपके खाते में  नुकसान बड़ा हो जाएगा पर आपकी कुछ डूबी हुई पूंजी वापस भी मिल जाएगी. इस नुकसान का उपयोग अपने बाकी सौदों सेे मिलने वालेे लाभ पर लगने वाला टैक्स बचानेे मेें हो जाएगा.  आम के आम और गुठली के दाम!




Sunday, August 10, 2025

आइए आपको एक अच्छी रणनीति बताते हैं...

 बहुत निराशा होती है जब बहुत प्रयास के साथ कोई नया ब्लॉग लिखता हूं पर आपमें से किसी की कोई टिप्पणी नहीं आती कि लेख कैसा बना है? कहां क्या कमी नजर आ रही है? आपको चाहिये क्या? आप किस बारे में ब्लॉग पढ़ना चाहते हैं.

 तो आज मैं आपको एक उपहार देने की तइयारी करता हूं. किसी भी पोस्ट पर कोई भी अच्छी समालोचनात्मक टिप्पणी देने वाले को एक ऐसी रणनीति बताऊँगा जिसका उपयोग आप किसी भी तरह के ट्रेड में कर सकते हैं.

समालोचना और आलोचना के बीच का महीन अन्तर तो आपको पता ही होगा. तो चलिए एक अच्छी सी टिप्पणी लिखिये. उसमें आपका ईमेल होना जरुरी है. आपके ईमेल पर ही वह रणनीति भेज दूंगा. आपके ईमेल का कोई भी दूसरा उपयोग नहीं किया जायेगा. आप चाहें तो एक ऐसा ईमेल बना लीजिये जिसपर आप कोई जरुरी काम नही करते हों. उसे सिर्फ इसी तरह के काम में उपयोग किया करिए.

आज बस इतना ही! 

Friday, August 1, 2025

ट्रेडिंग पर एक चरचा

ट्रेडिंग पर एक चरचा 


 

आज बाजार, वणिकों के लिए बाजार का अर्थ होता है प्रतिभूति बाजार (शेयर मार्केट), बन्द है तो सोचा क्यों न आज कुछ चरचा कर लूं. पर चर्चा शुरु करने से पहले ही मैं बता देना चाहता हूं, सावधान कर देना चाहता हूं कि मैं न तो सलाहकार हूं, न विश्लेषक. मैं एक साधारण वणिक हूं जो भयंकर नुकसान उठा कर भी बाजार में बना हुआ हूं. और मैं मानता हूं कि मैंने चार्टों का अध्ययन पूरी तन्मयता से किया है. अब मैं उसमें प्रवीण हो पाया हूं या नहीं यह नहीं बता सकता. क्योंकि प्रवीण हो गया रहता तो आज बड़े लाभ की स्थिति में रहता. इसे बस ऐसे समझ लीजिए कि मैं एक बढ़िया कोच हो सकता हूं पर खिलाड़ी बहुत घटिया हूं. मैं अच्छी तरह जानता हूं कि कहां टिकना मेरे आर्थिक स्वास्थ्य के लिए बुरा हूं पर तब भी टिका रह जाता हूं.यह चार्ट, इंडिकेटर, या स्ट्रेटेजी की विफलता नहीं है. यह मेरी व्यक्तिगत विफलता है. तब सवाल उठता है कि मैं यह दुस्साहस कैसे कर लेता हूं कि बाजार के बारे में चरचा कर लूं!

वास्तविकता यही है कि हजारों नहीं लाखों वणिक ऐसे हैं जो निवेश सलाहकार की सेवा नहीं ले सकते. अच्छे विश्लेषक तक पहुँचना उनके लिये सहज नहीं है. वे तो बस मित्रों से, टीवी चैनलों से, समाचार पत्रों से, यूट्यूब चैनलों से, टेलीग्राम चैनलों से, व्यावसायिक सलाह विक्रेताओं से जो सुनते हैं उसी आधार पर शेयर खरीदते बेचते रहते हैं. उनकी विवशता महाभारत के अभिमन्यु जैसी है. जो चक्रव्यूह में प्रवेश करना तो जानता है पर उससे निकलने के तरीके से अनभिज्ञ है. वह जो भी सफलता अर्जित करता है अपने पराक्रम के बल पर या अनायास बनने वाले संयोगों के बल पर. पर चक्रव्यूह के महारथी उसे अन्ततोगत्वा मार ही डालते हैं. 

मैंने चार्टों का अध्ययन करते समय देखा है कि अलग अलग समयावधि के चार्ट अलग अलग संकेत देते हैं. इस स्थिति में किस संकेत का पालन किया जाय मैं आज बस इसी विषय पर केन्द्रित रहना चाहता हूं इस लेख में.

सबसे पहले तो आपको यह स्पष्ट निर्धारित कर लेना होगा कि आप निवेशक हैं या वणिक हैं. अगर निवेशक हैं तो चार्ट देखना छोड़ दीजिये, बाजार में प्रतिदिन होने वाले उतार चढ़ाव को अनदेखा कर दीजिए. क्योंकि आप कहीं और से अपनी आय प्राप्त कर रहे हैं और उस आय का एक हिस्सा आप शेयर बाजार में लगा रहे होते हैं. आप अपनी आय के मूल स्रोत पर ध्यान केन्द्रित रखिए.

मगर यदि आप वणिक हैं, जो आपमें से अधिकतर लोग हैं, तो आपको अब यह तय करना है कि आप किस तरह के वणिक, ट्रेडर, हैं. वाणिकी कई तरह की होती है. कुछ लोग स्काल्पिंग करते हैं, कुछ डे ट्रेडिंग, कुछ स्विंग ट्रेडिंग, कुछ पोजीशनल ट्रेडिंग करते हैं. दुख की बात यह होती है कि आप विशुद्ध वाणिकी में टिकते नहीं है. आपकी स्थिति उस सन्यासी की तरह होती है जिसके बारे में कहा गया है कि - 
नारी मुई घर संपति नासी
माथ मुड़ाय भए सन्यासी !

आप करते तो हैं वाणिकी पर जब आप बड़े नुकसान की स्थिति में आ जाते हैं तब आप निवेशक बन जाते हैं. गलती की पहली शुरुआत यहीं से होती है. कुछ लोग इसके बाद एवरेजिंग की कुचेष्टा करते हैं. यानी गिर रहे शेयर को नीचे के मूल्य पर खरीद कर अपने शेयर का औसत मूल्य सुधारने की कोशिश करते हैं. एवरेजिंग गलत नहीं होता, आप उसका इस्तेमाल गलत तरीके से करते हैं. आप गिरते शेयर में एवरेजिंग करते हैं जबकि आपको एवरेजिंग तब करना चाहिये जब उस शेयर में सुधार के लक्षण दिखने लगें, जब वह अपने पिछले उच्च स्तर के ऊपर निकले. कुछ जानकार कहते हैँ कि अपनी पूरी पूंजी या जो भी पूंजी आप किसी शेयर में लगाना चाहते हैं तो आपको कभी भी पूरी पूंजी एक साथ नहीं लगाना चाहिए.उसे दो या तीन टुकड़ों में लगाइए जब वह आपकी सोच की दिशा में चलायमान हो. 

हम कुछ आगे बढ़ आए. जब आप यह तय कर लेते हैं कि आप किस तरह के वणिक बनना चाहते हैं तो आपके सारे निर्णय उसी तरह के होने चाहिए. स्काल्पिंग में पूंजी अधिक लगाई जाती है पर बहुत ही छोटी अवधि के लिए. स्काल्पिंग की तुलना उस चेन स्नैचर से की जा सकती है जो भरे बाजार में मौका देख  किसी का चेन, किसी का पर्स उड़ा लेता है और पलक झपकते पलायन कर जाता है. उसे मालूम होता है कि अगर पकड़ा गया तो बाजार की भीड़ उसे जिन्दा रहने नहीं देगी. इन्ट्राडे ट्रेडर थोड़े आराम से रह सकता है पर उसे भी इस खेल कि कबड्डी की तरह खेलना चाहिए, एकदिना क्रिकेट की तरह. अगर वह इसे टेस्ट मैच की तरह खेलेगा तो हानि की संभावना बढ़ जाती है. 

अब आइए स्विंग ट्रेडिंग और पोजीशनल ट्रेडिंग की तरफ. स्विंग ट्रेडर झूला तो झुलता है पर कोशिश करता है कि वहां उतर जाय जब झूला ऊँचाई छू ले. पर आप जानते हैं कि यह आसान नहीं होता. डर होता है कि कहीं गिर न पड़ूं, चोट न लग जाए. वाणिकी में भी कुछ कुछ ऐसा ही होता है. आपको लगता है कि कहीं यही निकल गया और बाजार और ऊपर चलता गया तो मेरा तो नुकसान हो जाएगा. होना यह चाहिए कि जब आप कोई सौदा करने जाँय तो सबसे पहले यह तय कर लें कि कितना नुकसान उठा सकता हूं. अपनी नुकसान की सीमा में रहते हुए ही आपको खरीददारी करनी होती है. अब आपके सामने दो रास्ते होते हैं. एक कहता है कि तय कर लीजिए कि कितना मुनाफा होने पर मैँ इस सौदे के निपटा दूंगा. दूसरा कहता है कि जैसे जैसे बाजार उठता जाए वैसे वैसे आप अपने नुकसान की सीमा को बदलते जांय. पर जब एक बार आपका सौदा लाभ की स्थिति में आ जाता है तब उसके बाद आपको कभी भी नुकसान की स्थिति मेंं टिकना नहीं चाहिए. तुरत निकल जाइए उस सौदे से. 

और ऐसे वणिकों को अपनी टिकने की अवधि के अनुरुप कैंडल चार्ट की समयावधि तय करनी चाहिए. स्काल्पर को एक मिनट से तीन मिनट तक के चार्ट को देखना चाहिए. डे ट्रेडर पांच मिनट से पन्द्रह मिनट की समयावधि का चार्ट देखा करे. स्विंग और पोजिशनल ट्रेडर अपनी टिकने की ताकत के हिसाब से 75 मिनट, 125 मिनट, या एक दिन का चार्ट देखे. जैसे जैसे यह अवधि बड़ी होती जाएगी वैसे वैसे आपको कम पूंजी लगानी चाहिए और जैसे जैसे यह अवधि छोटी होती जाएगी वैसे वैसे आपको सौदे में अधिक पूंजी लगाने की जरुरत पड़ेगी. 

इसको इस तरह से समझिए कि एक मिनट वाला चार्ट का विचरण छोटे दायरे में होता है और एक दिन वाला चार्ट बड़े दायरे में विचरण करता है. इसलिए जब भी आप किसी की सलाह मांगिए या मानिए तो उसे स्पष्ट बता दीजिए कि आपकी निवेश अवधि कितने की है, या आप कितना प्रतिशत लाभ कमाना चाहते हैं एक सौदे में. कितने से ज्यादा उपयोगी प्रतिशत में होता है. 

मान लीजिए कि आप किसी बैँक में दीर्घावधि जमा खाता (फिक्स्ड डिपाजिट) खोलते हैं तो आपको कितना प्रतिशत वार्षिक ब्याज मिलता है. वणिक को अपने लाभ की सीमा इसी ब्याज दर के अनुसार करनी चाहिए. शेयर मार्केट का सौदा जोखिम भरा होता है और लाभ की अपेक्षा हानि की संभावना अधिक होती है. इसलिए अगर आपको वह वार्षिक ब्याज एक सप्ताह में मिल जाय तो क्या बुरा है. आपकी पूंजी आपको सुरक्षित मिल जाती है. और चूंकि बाजार में हजारों प्रतिभूतियां हैँ तो आप फिर किसी दूसरी प्रतिभूति में प्रवेश कर सकते हैं, या आप एक ही प्रतिभूति में ऊपर बेच कर नीचे खरीदते रह सकते हैं. बस ध्यान में रहे कि जब खरीदें तब उससे नुकसान को अपनी पूर्व निर्धारित सीमा में रखें. 
 

आशा है कि आजकी चरचा आपको पसन्द आई होगी. अगर आपके पास कोई प्रश्न हों तो आप उसे मेरे इस वेबसाइट पर दिए गए कमेंट बाक्स में डाल दीजिए. कोशिश करूंगा कि उसका उत्तर जल्द से जल्द दे सकूं. 

मैंने पहले भी यह बता रखा है कि मैं किसी शेयर विशेष का नाम लेकर सलाह नहीं देता पर आपके प्रश्न के अनुरुप आवश्यक हुआ तो अपने विचार जरुर बता दूंगा. उस विचार पर चलने से पहले सुविचार जरूर कर लीजिए.

Thursday, June 26, 2025

उलझन सुलझे ना रस्ता सूझे ना

उलझन सुलझे ना रस्ता सूझे ना


एक पुराने हिन्दी फिल्म धुंध का एक गाना था - 

उलझन सुलझे ना, रस्ता सूझे ना.
जाऊं कहां मैं जाऊं कहां ?
मेरे दिल का अन्धेरा हुआ और घनेरा
कुछ समझ ना पाऊं क्या होना है मेरा.
खड़ी दोराहे पर, मैं पूछूं घबरा कर
जाऊं कहां मैं जाऊं कहां ?

आज के इस लेख का इस गाना से नाता बहुत सहज सा है. क्योंकि एक उलझन है जिसे मैं सुलझा नहीं पा रहा. क्या आप में से कोई है जो इस उलझन से निकलने का रास्ता सुझा सके ? 

बात शेयर बाजार से जुड़ी है. शेयर बाजार में बहुत तरह के लोग आते हैं - कुछ लोग निवेश (इन्वेस्टमेंंट) करने के लिये तो अधिकतर लोग वाणिकी (ट्रेडिंग) के लिए. पर बहुत कम लोग इस विषय पर खुल कर बात करते हैं. जैसे शराब के ठेके पर जाने वाले बहुतेरे लोग इसे स्वीकार नहीं करते कि वे शराब के ठेके पर जाते हैं. उसी तरह शेयर बाजार में हैं बहुत से लोग मगर इस पर बात करने में असहज हो जाते हैं. अपनी अक्ल और पराये का धन सबको ज्यादा लगता है. शेयर बाजार में काम करने वाले अधिकतर लोगों के साथ यही होता है कि वे अपने को सबसे अक्लवान समझते हैं और उनकी लालसा होती है कि पराये धनवान की तरह वे भी धनवान हो जाँय.

मेरे जैसे बहुत कम लोग हैं जो शेयर बाजार की चरचा खुलेआम करते हैं और इसका उद्देश्य होता है अपने अनुभवों को साझा करना साथ ही पाठकों से मिली प्रतिक्रिया के हिसाब से अपनी वाणी को नहीं तो कम से कम वाणिकी को जरुर सम्हाल सकें. शायद आप भी शेयर बाजार में निवेशक या वणिक की तरह काम करते हैँ इस लिये मैं चाहूंगा कि आप मेरी उलझन को दूर करने का प्रयास करें.

जैसे ही आप अपने ब्रोकर का ऐप पर लागिन करते हैं उसी समय सबसे पहले यह चेतावनी सामने आती है - 

ठीक उसी तरह जिस तरह सिगरेट के पैकेट पर चेतावनी छपी रहती है कि धुम्रपान स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है. सेबी कहता है कि ट्रेडिंग आपके वित्तीय स्वास्थ्य के लिये नुकसानदेह होता है. मगर सेबी यह भी मानता है कि ट्रेडिंग करने वालों में से हर दस में एक सफल हो जाता है. सिगरेट की चेतावनी में यह बात नहीं होती. 

मैं समझता हूं कि अगर सिगरेट स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है तो सरकार उसका उत्पादन ही प्रतिबन्धित क्यों नहीं कर देती. अगर वाणिकी वित्तीय स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है तो वाणिकी को प्रतिबन्धित क्यों नहीं कर देती !

मगर वास्तविकता यही है कि सिगरेट उद्योग से सरकार को भारी भरकम कर आय होती है. वाणिकी के साथ भी यही बात है. आप कुछ भी खरीदिये, कुछ भी बेचिये, नफा नुकसान आपको होगा पर ब्रोकर, शेयर बाजार, और सरकार को सिर्फ नफा होता है. चित भी उनकी, पट भी उनकी, और अंटा तो उनके बाप का होता ही है !

बहुत समय पहले कांग्रेसी सरकार के दौरान एक कानून बनाने का प्रस्ताव सामने आया था जिसमें धर्म को राजनीति से दूर करने की बात कही गयी थी. समस्या यह हुई कि जिनको रोकने के लिये यह प्रस्ताव आया था उन लोगों को इसके दायरे में लाना असम्भव हो गया. क्योंकि हिन्दूवादी ताकतों को इसकी परिभाषा में तभी बाधित किया जा सकता था जब खुलेआम कहा जाता कि हिन्दू हित की बात करना साम्प्रदायिक होगा. धर्म को परिभाषित किये बिना यह कानून बन ही नहीं सकता था और हिन्दूत्व को किसी भी परिभाषा से रिलीजन या मजहब नहीं माना जा सकता.

अब खुरपे के ब्याह में हँसुआ के गीत की बात छोड़ लौटता हूं वाणिकी पर. 

सबसे पहले तो यह परिभाषित करना होगा कि निवेश क्या है और वाणिकी क्या है ? वस्तुस्थिति यही है कि हर निवेश दीर्घकालिक वाणिकी होता है और हर वाणिकी अल्पकालिक निवेश!

निवेश करने वाला संपति अर्जित करता है जबकि वाणिकी से आय अर्जित होती है. संपति और आय में मूलभूत अन्तर यही होता है कि संंपति दीर्घकालिक लक्ष्यों की पूर्ति करती जबकि आय आपकी तत्काल जरुरतों को पूरा करने के लिये होता है. आय से  अपनी जरुरते पूरी कर लेने के बाद जो बचता है उसे ही आप निवेश करते हैं ताकि वह आपकी संपति में जुड़ जाय.

इस लेख में निवेश करने वालों के लिये कोई बात नहीं होनी है क्योंकि निवेश हर व्यक्ति अपनी पसन्द अपने रुझानों के अनुसार करता हे. यहां मैं सिर्फ उनकी बात करने वाला हूं जो अपनी आय बढ़ाने के लिये वाणिकी के रास्ते पर चलने की कोशिश करते हैं. वाणिकी किसी भी नौकरी या व्यवसाय की तरह होता है जिससे आप आय अर्जित करते हैं. और अगर आय आपकी जरुरतों से अधिक की होती है तो उस बचत को आप निवेशित कर देते है.

नौकरी सबसे अच्छी सरकारी नौकरी होती है. क्योंकि उसमें वेतन से अधिक उपरी आय का आकर्षण होता है. इसलिये सरकारी नौकरी पाना बहुत ही कठिन है. तब कुछ लोग प्राइवेट नौकरी पाने की कोशिश करते है. और सबसे सहज उपलब्ध होता है डिलीवरी ब्वाय का काम. जितनी मेहनत उतनी आय की गुंजाइश बशर्ते आर्डर मिलते रहें. 

वाणिकी भी कुछ इसी तरह का काम होता है. कोई अर्हता आवश्यक नहीं होती सिवा इसके कि आपका एक डीमैट खाता हो और थोड़ी बहुत पूंजी हो. पर ट्रेडिंग करें तो किसकी ? कुछ लोग कमोडिटी ट्रेडिंग करते हैं, कुछ करेंसी ट्रेडिंग, कुछ बुलियन ट्रेडिंग, कुछ शेयर ट्रेडिंग. पर सबसे अधिक लोग आजकल डिराईवेटिव ट्रेडिंग की तरफ आकर्षित होते हैं. जिसे आम बोलचाल की भाषा में एफ एण्ड ओ या और भी खास कहें तो आप्शन ट्रेडिंग कहते हैं. यहा मैं इसी आप्शन ट्रेडिंग की बात करूंगा. सेबी इसी आप्शन ट्रेडिंग की जोखिम से आपको सचेत करता है. 

इक्विटी ट्रेडिंग और आप्शन ट्रेडिंग में एक फर्क होता है कि इक्विटी में आप वास्तव में शेयर खरीदते या बेचते हैं. आप्शन ट्रेडिंग में आप सिर्फ खरीदने या बेचने की संभावना की बात करते हैं. यहां खरीदने वाले को छूट होती है कि वह अपने वायदे से मुकर सकता है अगर उसका नुकसान उसके द्वारा दिये गये प्रीमियम के नुकसान से अधिक होता हो. पर बेचने वाले को यह छूट नहीं मिलती. अगर खरीददार आ गया तो उसे बेचना ही पड़ेगा. इस आप्शन ट्रेडिंग में सबसे बड़ा खतरा होता है कि हर गुजरते पल के साथ प्रीमियम का नुकसान बढ़ता जाता है और अगर नियत तिथि बीत गई तो आपका पूरा प्रीमियम स्वाहा हो जाने का जोखिम होता है. इक्विटी ट्रेडिंग में यह जोखिम नहीं होता. वहां ट्रेडिंग करने वाले लोग नुकसान की स्थिति में निवेशक बन जाते है! अलग बात है कि शेयर मूल्य कितना गिरेगा या कब तक गिरा रहेगा यह कोई नहीं जानता.

इक्विटी ट्रेडिंग करने के लिये अपेक्षाकृत अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है अगर आप एक अच्छी आय की संभावना तलाशते है. इसमे आप पर दबाव नही होता कि आनन फानन में कोई फैसला करे. पर आप्शन ट्रेडिंग मे आप कबड्डी खेल सकते है क्रिकेट नहीं. आप तभी तक विरोधी खेमे  मे हुंकार भर सकते है जब तक आपका दम बचा हुआ है. वहां अभी नहीं तो बाद मे देख लेगें, कल फैसला कर लेगें वाली सुविधा नहीं होती. 

पर अगर आप आप्शन ट्रेडिंग से आशातीत सफलता की आकांक्षा न रखते हुये छोटी छोटी आय या छोटा छोटा नुकसान की सीमा बान्ध लेते है तो यह इक्विटी से अधिक फायदेमन्द हो सकता है. दो से पांच फीसदी की आय या नुकसान की सीमा में रहें तो आप दीर्घकालिक लाभ पा सकते है.

यह मेरा विचार है. पर आप क्या कहते है ? क्या सोचते है ? संवाद दोतरफा हो तो दोनों पक्षों के लिये सही होता है. आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी. 

Saturday, June 14, 2025

दस मिनट में बीटीएसटी ट्रेडिंग

 बहुत लोगों की यह शिकायत होती है कि वे ट्रेड करना तो चाहते हैं पर बाजार की समझ नहीं है. न तो फंडामेन्टल विश्लेषण कर सकते हैं ना चार्ट पढ़ने आता है. 

ऐसे ही लोगों के लिये हमने एक आकर्षक रणनीति बनाने की कोशिश की है. इसके लिये आपको दिन भर में सिर्फ दस से पन्द्रह मिनट लगाने होंगे.

आपके पास अगर डीमैट खाता है और उसमें आप आप्शन की ट्रेडिंग कर सकते हैं तो आप इस रणनीति को आजमा सकते हैं. आखिरी परिणाम इस काल्पनिक ट्रेड से अलग हो सकता है.

आपको सिर्फ निफ्टी बैंक की ट्रेडिंग करनी होगी. यह रणनीति आप्शन खरीदने वालों के लिये है और इसे एक लाख रुपये की पूंजी से किया जा सकता है.

आपको अगले महीने खतम होने वाले आप्शन खरीदना है. मौजूदा महीने वाले में नहीं. अगले महीने का आप्शन खरीदने में पूंजी अधिक लगती है पर थिटा लॉस कम होता है. इस काल्पनिक ट्रेड में मई महीने में जून सीरीज के आप्शन ट्रेड किये जाने की कल्पना की गई है. 

इस रणनीति में रोज शाम को 3-25 पर आपको कॉल और पुट आप्शन दोनों एक ही बास्केट आर्डर से खरीदना होगा और अगले दिन बाजार खुलते ही दोनों को एक साथ ही बेचना होगा. यह पूरी तरह से एक मशीनी रणनीति है जिसमें आपके विचारों का, आपके डर या लालच का कोई समावेश नहीं है. अगले दिन बाजार ऊपर खुले या नीचे या सपाट खुले आपको कोई अन्तर नहीं पड़ना चाहिये. एक मशीन की तरह ट्रेड कर के देखिये.

इस आकलन में जून महीने का बैंकनिफ्टी का आप्शन मई के महीने में ट्रेड किया गया माना गया है. ये ट्रेड मैंने लिये नहीं थे. एक विचार आया सो इसका गुणा भाग कर बैठा. इसमें किसी भी तरह के पूर्वाग्रह से बचा गया है और माना गया है कि दिन के बन्द भाव पर खरीदा गया आप्शन अगले दिन के खुलने वाले भाव पर बेच दिया गया हो. दोनो तरह के ट्रेड मार्केट आर्डर माने गये हैं. 

इस काल्पनिक ट्रेड के लिये अधिकतम पूंजी करीब 1 लाख चाहिये थी. महीने भर के ट्रेड के बाद जो परिणाम आया वह था 19390 रुपये. इसमे से ब्रोकरेज वगैरह निकाल दीजिये तो करीब 19000 का लाभ हुआ रहता अगर किसी ने इसे इस तरह ट्रेड किया होता.

गुणाभाग वाले स्प्रेडशीट का एक चित्र नीचे दिया जा रहा है.  



Monday, May 19, 2025

ट्रेडिंग करते समय प्रेग्नेन्ट लेडी का सम्मान करें

 ट्रेडिंग करते समय प्रेग्नेन्ट लेडी का सम्मान करें

लेडीज तो हमेशा सम्मान का पात्र होती हैं और जब कोई शुभ कार्य कर रहें हों तो उस समय उनपर विशेष ध्यान देना चाहिये. आज मैं आपसे ट्रेडिंग करते समय प्रेग्नेन्ट लेडी की उपयोगिता पर चर्चा करने जा रहा हूं.

इसके पहले कि मैं आगे बढ़ूं यह बात पुन: रेखाकित कर देना आवश्यक है कि मैं न तो कोई निवेश सलाहकार हूं न शोधकर्ता. मैँ एक सामान्य ट्रेडर - वणिक - हूं जो अपने अनुभवों की चरचा करना पसन्द करता है. हमेशा की तरह आज भी मैं किसी शेयर विशेष की बात नहीं करने वाला. शेयर कौन सा होगा यह आप को तय करना होगा, किस तरह का ट्रेड करना है यह आपको तय करना है और चार्ट में कौन सा टाइम फ्रेम इस्तेमाल करना है यह भी आपही तय करेंगे. बार बार यह भी बता चुका हूं कि आज तक कोई भी संकेतक - इंडिकेटर - या रणनीति - स्ट्रेटेजी - नहीं बनी जो हमेशा सही साबित हो. अगले कँन्डल में कुछ भी हो सकता है. बाजार उपर जा सकता है, नीचे जा सकता है, या यूंही चक्कर मारते रह सकता है. इस लिये कोई भी सौदा खुद जाँच परख कर के ही करें या अपने निवेश सलाहकार से बात कर के. अब चलिये बात करते हैँ प्रेग्नेनंट लेडी की.

असल में ट्रेडिंग मे इसको हरामी कहते हैं और हिन्दी में या हमारी स्थानीय भाषाओं में हरामी एक घृणित शब्द है. हरामी शब्द जापानी भाषा से आया है जिसका अर्थ होता है गर्भवती महिला यानि कि प्रेग्नेंट लेडी.

अब चूंकि मैं सामान्य ट्रेडरों के हिसाब से चर्चा करता हूं और सामान्य वणिक सिर्फ लिवाल हो सकता है बिकवाल नहीं. इसलिये मैं सिर्फ लिवाल वाली प्रेग्नेंट लेडी की बात करुंगा. सवाल उठता है कि इसको पहचाने कैसे ? इसका महत्व स्थानविशेष से प्रभावित होता है या नहीं ? कितने लाभ की संभावना है ? कितना जोखिम है ? वगैरह वगैरह.

इस रणनीति का व्यवहार करने में एक शर्त यह है कि जिस टाइम चार्ट पर यह बने उसी टाइम फ्रेम पर आप ट्रेड कर रहे हों. सामान्यतया इसे लंबी अवधि के टाइम फ्रेम पर ट्रेड करना ज्यादा सही रहेगा. लंबी अवधि के टाइम फ्रेम पर आपको अपेक्षाकृत कम राशि लगानी पड़ती है. टाइम फ्रेम जितना छोटा होगा राशि उतनी ही बड़ी लगानी पड़ेगी.

यह प्रेग्नेंट लेडी आपके चार्ट पर कभी भी दीख सकती है. आपको देखना है कि यह  उपर जाने वाला है या नीचे. स्वाभाविक है कि मैं सिर्फ लिवाल वाले ट्रेड की ही चर्चा करुंगा सो एक लंबी बियरिस कैंडल के बाद जब एक छोटी सी बुलिस कैंडल बने तो आपको इस लेडी के दर्शन मिल गये हैं. अब आपको अगली कैन्डल या कुछ कैन्डल का इंतजार करना पड़ेगा जब तक कि मूल्य रेखा बड़ी कैन्डल से उपर निकले. आप अब इस ट्रेड को ले सकते हैं, यानि कि लांग हो सकते हैं. जोखिम के लिये आपको छोटी कैन्डल के निचले बिन्दु को ध्यान में रखना पड़ेगा. और जोखिम के बराबर, डेढ़ा, या दुगुना पर आपको लाभ लेकर निकल जाना है. ज्यादा के लालच में पड़े तो - लटकले त गइले बेटा - वाली हालत बन सकती है. और जोखिम रेखा - स्टॉप लॉस - के साथ कोई भी छेड़छाड़ खतरनाक साबित हो सकती है. याद रखिये जिस दिन आप जोखिम रेखा को पौराणिक लक्ष्मण रेखा मानना शुरु कर देंगे उसी दिन से आपकी ट्रेडिंग लाभ देने लग जायेगी. ट्रेड नुकसान तब भी दे सकता है पर ट्रेडिंग लाभ दायक ही होगी. एक सौदा ट्रेड कहा जाता है और कई ट्रेड से ट्रेडिंग बनती है.

नीचे दिये गये चित्र में हमने दो आयत बनाये हैं. पहली आयत लंबी है वह सौदा लेने लायक नहीं बना क्योंकि बड़ी रेखा से उपर नहीं निकला और इस बीच कुछ निगेटिव कैन्डल बन गये. पर दूसरे आयत के बाद आप देखेंगे कि अच्छा लाभ मिल सकता था. सकता था को हमेशा याद रखियें. सकता था पर सकेगा ही तय नहीं होता. 




लंबी लाल कैन्डल के बाद बनी पॉजिटिव छोटी कैन्डल का कोई भी सिरा लंबी वाली कैंडिल के ऊपर या नीचे नहीं निकलनी चाहिये. तभी यह प्रेग्नेंट लेडी कही जायेगी.
ट्रेड करने से पहले टाइम फ्रेम तय कर लीजिये. जिस टाइम फ्रेम पर यह लेडी नजर आई है उसी टाइमफ्रेम पर आपको ट्रेड करना है.
जोखिम रेखा का पालन करिये. मृग मरीचिका में उस रेखा के परे जाना आपको जोखिम में डाल सकता है.
एक कहावत और याद रखिये - समय से पहले और भाग्य से ज्यादा न तो मिला है न मिलेगा. आपको पता नही कि आपका समय कब आयेगा और आपके भाग्य में कितना लिखा है. इसलिये हमेशा सही दिशा में चलते रहने का, प्रयास करते रहने की आदत डाल लीजिये.

लाभ मिले तो एक बार धन्यवाद दे दीजियेगा पर नुकसान होने पर हमें गाली मत दीजियेगा. मुझे क्या मालूम आपका समय कब आयेगा या आपके भाग्य में कितना है.

शुभ लाभ !





कोई लाख करे चतुराई करम के लेख मिटे ना भाई.

कोई लाख करे चतुराई करम के लेख मिटे ना भाई. जरा समझो इसकी सचाई करम केे लेख मिटे ना भाई. इस दुनिया में भाग्य केे आगेे चले ना किसी का पार. कागद...