हिन्दी में इस शीर्षक को समझने के लिए अगर "डेड कैट बाउन्स" कहा जाय तो शेयर चर्चा करने वाले लोग सहजता से समझ लेंगे. कल और आज शेयर बाजार में सुधार के लक्षण दिखाई दे रहे हैं. पर जानकार सलाहकारों की चेतावनी है कि यह मरी बिल्ली की उछाल भी हो सकती है. अगर मरी बिल्ली काफी ऊँचाई से गिरे तो गिरने के बाद उछलती दिख सकती है, या यों कहिये कि लग सकती है.
सो मैंने देखना चाहा कि पिछले सात आठ साल की निफ्टी की चाल देख ली जाय. लम्बी अवधि के इस चार्ट को देखने के लिये मैंने साप्ताहिक कैन्डल का चुनाव किया और परिणाम आपके सामने है -
इस चार्ट को देखने के बाद आप भी मानेंगे तो देश के शेयर बाजार में कोई बहुत बड़ी अनहोनी नही हो गई है. बाजार कभी सीधी रेखा में नहीं चलता. कभी ऊपर तो कभी णीचे मगर लम्बी अवधि में यह ऊपर जाता हुआ ही दिखेगा. इसी कारण बाजार की कहावत है कि खरीदो और भूल जाओ. छह सात आठ साल के बाद देखोगे तो निवेश के सारे तरीके इसके सामने गौण हो जायेंगे.
मगर क्या यह हमेशा ही सच होता है ? जीवन्त भाषा की तरह शेयर बाजार की भाषा भी नये नये कहावत गढ़ती है. पहले के जमाने में शेयर निवेश का यही तरीका प्रचलित था कि खरीद लो और बने रहो - Buy and Hold ! तब के निवेशक कहीं और से नियमित आय प्राप्त करते थे और अपनी बचत का एक छोटा हिस्सा शेयरों में निवेशित कर के रखते थे. उन निवेशकों का जमाना बदल रहा है. अब शेयर बाजार में नौजवानों की संख्या बहुत अधिक हो गई है और यह वर्ग चट मंगनी पट व्याह की बात अधिक पसन्द करता है. जन्म जन्मान्तर का संबंध अब अपवाद होने लगा है. अब तो लिव इन का दौर आ गया है. इस लिये बाजार की वह कहावत अब उतनी प्रभावी नहीं रह गई है खास कर उन लोगों के लिये जो अपना खर्च शेयर बाजार से निकालने की जुगत भिड़ाते रहते हैं.
ऊपर दिये गये इस चित्र से आप भी मानेंगे कि जब इस उर्ध्वगामी समानान्तर चैनल की उपरी रेखा के पास पॅहुचे तो निकल जाईये और जब निचली रेखा के पास पँहुचे तो नया निवेश कर डालिये. पर यह बात कहने में जितना आसान है, व्यवहार में उतना ही कठिन. मगर अभ्यास से आप इसे सहजता से प्राप्त करने लग सकते हैं, बशर्ते आप बिल्कुल शीर्ष पर बेचने और निम्नतम स्तर पर खरीदने की कुचेष्टा नहीं करें. जब आपको लगे कि बाजार बहुत तेजी से ऊपर जा रहा है तो कुछ कुछ निवेश समाप्त करते रहिये. और जब लगे कि बहुत नीचे गिर रहा है तब खरीदने की सोचिये. हाँ एकमुश्त बेचने या खरीदने की गलती मत करें. निवेश योग्य राशि पूरी की पूरी शेयरों में मत लगायें. एक उदाहरण जो मैं नौजवानों को बताता हूं वह यही कि जब आपका निवेश एक साल के फिक्स्ड डिपाजिट पर मिलने वाले ब्याज की बराबरी कर ले तब उसे एक बार तोड़ दें. हजारों स्टॉक हैं शेयर बाजार में और हर दिन कोई न कोई स्टॉक उपर जाता मिल जायेगा या नीचे गिरता मिल जायेगा. एक निवेश भँजा कर दुसरे निवेश में लगाना ज्यादा लाभदायक हो सकता है. बाकी आपकी अपनी मर्जी.
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